इंश्योरेंस में आईआरडीए की भूमिका
22-जून-2021 |
भारत में, इंश्योरेंस इंडस्ट्री देश की आर्थिक स्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह किसी व्यक्ति के निवेश की संभावनाओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाता है, उसके भविष्य की सुरक्षा करता है और फंड का एक बड़ा पूल बनाने में इंश्योरेंस इंडस्ट्री की सहायता करता है. इस तरह, सरकार ने इंश्योरेंस सेक्टर के विनियमन के लिए आईआरडीए अधिनियम 1999 पेश किया.
1972 में, जनरल बिज़नेस इंश्योरेंस एक्ट 1 जनवरी 1973 से लागू किया गया था. कई इंश्योर्ड कंपनियों का विलय कर दिया गया और 4 प्रमुख इंश्योरेंस कंपनियां बनाई गईं. ये हैं नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और यूनाइटेड इंडिया. जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया की स्थापना 1971 में हुई थी और 1 जनवरी 1973 को इसका संचालन शुरू हुआ था.
बीमा विनियामक और विकास एजेंसी (आईआरडीए) की स्थापना 1999 में मल्होत्रा समिति की रिपोर्ट के सुझावों का पालन करते हुए, एश्योरेंस क्षेत्र के विनियमन और विकास के लिए एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी. अप्रैल 2000 में, आईआरडीए का गठन एक वैधानिक संस्था के तौर पर किया गया था. आईआरडीए के प्राथमिक लक्ष्यों में इंडस्ट्री की वित्तीय स्थिरता बनाए रखते हुए बेहतर उपभोक्ता पसंद और कम प्रीमियम के जरिए ग्राहकों के प्रति वफादारी को बेहतर बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना शामिल है.
उस समय, कई इंश्योरेंस कंपनियां अपने पॉलिसीहोल्डर्स को कवरेज देने से इनकार करती थीं. यह अच्छे और बुरे जोखिम के बारे में उनकी धारणा पर आधारित था. इसे कंट्रोल करने के लिए, आईआरडीए ने कुछ कानून और नियम बनाए हैं. आईआरडीए एक्ट 1999 में आईआरडीए की निम्नलिखित ज़िम्मेदारियाँ बताई गई हैं, जैसे कि कदाचार की स्थिति में रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने और ससपेंड करने की शक्ति के साथ रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्रदान करना, इंश्योरेंस कंपनियों को विनियमित करना और क्लेम सेटलमेंट और इंश्योरेंस योग्य हितों की निगरानी करके पॉलिसीहोल्डर्स के हितों की रक्षा करना. इसमें प्रीमियम दरों और इंश्योरेंस प्लान की शर्तों को शामिल करना और उन्हें विनियमित करना, इंश्योरेंस कंपनियों के वित्तीय रिपोर्टिंग मानदंडों को लागू करना और इंश्योरेंस कंपनियों के सॉल्वेंसी मार्जिन को बनाए रखना भी शामिल है.
आईआरडीए से सेक्टर, उपभोक्ता और कंपनी सभी को फ़ायदा होता है.
इंश्योरेंस सेक्टर के लिए — आईआरडीए का लक्ष्य पॉलिसीहोल्डर्स की दिलचस्पी को बढ़ावा देना और सभी को इंश्योरेंस खरीदने के बारे में शिक्षित करना है, जिससे सेक्टर की वृद्धि को बढ़ावा मिले. आईआरडीए की आधिकारिक वेबसाइट खुद आईआरडीए, इंश्योरेंस कंपनियों और इसके विनियमन के तहत आने वाले विभिन्न प्रकार के इंश्योरेंस के बारे में जानकारी देती है. इसमें लाइफ इंश्योरेंस, जनरल इंश्योरेंस, मरीन और फायर इंश्योरेंस, बर्गलर इंश्योरेंस, पेशेवर क्षतिपूर्ति इंश्योरेंस और साइबर इंश्योरेंस शामिल हैं.
पॉलिसीहोलडसर्स के लिए — आईआरडीए क्लेम सेटलमेंट, नॉमिनी, ब्याज़, और अन्य नियम और शर्तों के मामले में पॉलिसीहोल्डर के पैसे को कंट्रोल करता है, सुरक्षित करता है और उनकी सुरक्षा करता है, जो भ्रामक हो सकती हैं और पॉलिसीहोल्डर के पक्ष में नहीं हो सकती हैं. आईआरडीए खास तौर पर सभी क्लेम सेटलमेंट पर नज़र रखता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इंश्योरेंस कंपनी की इच्छा के मुताबिक कोई भी उचित क्लेम अनसेटल न रहे. साथ ही, यह उन फायदों को कंट्रोल करता है जो इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा पॉलिसीहोल्डर्स को दिए जा सकते हैं. आईआरडीए ऐसे क्षेत्रों को विकसित करने के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जीवन और जनरल इंश्योरेंस को बढ़ावा देने के लिए इंश्योरेंस कंपनियों के लिए न्यूनतम प्रतिशत निर्धारित करने के लिए भी ज़िम्मेदार है.
इंश्योरेंस कंपनियों के लिए — आईआरडीए हर इंश्योरेंस कंपनी के लिए एक उचित आचार संहिता रखता है, इंश्योरेंस की दर या प्रीमियम में बदलाव सहित नियम और कानून लागू करके उनके बीच प्रतिस्पर्धा को कम करता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कंपनी के ऑडिट भी करता है कि कोई भी कंपनी अपने ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी या गुमराह करने में शामिल न हो. इसका उद्देश्य इंश्योरेंस सेक्टर पर निष्पक्ष ढंग से शासन करना और यह सुनिश्चित करना है कि इंडस्ट्री की वित्तीय सेहत बरकरार रहे. यह इंश्योरेंस एजेंटों, लोन मूल्यांकनकर्ताओं और सर्वेयरों के लिए आचार संहिता को शिक्षित और लागू भी करता है.
अगर आपको कोई शिकायत या कोई समस्या है जिसे आप आईआरडीए के ध्यान में लाना चाहते हैं, तो सरकार ने “इंश्योरेंस ओम्बड्समैन” नाम से एक स्कीम लागू की है. इस प्लेटफ़ॉर्म के जरिए, पॉलिसीहोल्डवेर निष्पक्ष और प्रभावी तरीके से अपनी शिकायतों और क्लेम को सेटल कर सकते हैं. पॉलिसीहोल्डर सेटलमेंट में देरी, प्रीमियम के संबंध में विवाद, पॉलिसी जारी न होने या नियम और शर्तों के गलत इस्तेमाल की शिकायत कर सकता है.
अर्थव्यवस्था और फाइनेंस के मामले में भारत तेज़ गति से आगे बढ़ रहा है. इंश्योरेंस सेक्टर ने कई नए अवसर खोले हैं. महामारी और डिजिटाइज़ेशन के कारण जनता अपने निवेश के बारे में होशियार हो रही है, इसलिए निवेश के तौर पर इंश्योरेंस के बारे में जागरूकता बढ़ती है. वित्तीय धोखाधड़ी से बचने के तरीके के बारे में और जानकारी भी दी गई है. आईआरडीए सुनिश्चित करता है कि इंश्योरेंस सेक्टर विनियमित हो और पॉलिसीहोल्डर्स के हित सुरक्षित रहें.
L&C/Advt/2023/Jul/2041