21-07-2022 |
सैलरी स्लिप एक कानूनी, वित्तीय दस्तावेज़ है, जो आपको अपने एम्प्लॉयर से मिलने वाले कंपनसेशन के सबूत के तौर पर मिलता है. सेलरी स्लिप में सेलरी के कई घटक होते हैं, जिनमें बेसिक सेलरी, अलाउंस, कटौती आदि शामिल हैं.
एम्प्लॉई पे स्लिप जारी करना एक कानूनी आवश्यकता है जिसे एम्प्लॉयर द्वारा पूरा करना ज़रूरी है. हालांकि एम्प्लॉयर के लिए एम्प्लॉई को सैलरी स्लिप देना ज़रूरी है, प्रिंटेड सैलरी पे स्लिप अनिवार्य नहीं है, आप एचआर एप्लीकेशन और ऑनलाइन मॉड्यूल का इस्तेमाल करके सैलरी स्लिप ऑनलाइन डाउनलोड कर सकते हैं. साथ ही, कुछ संगठनों में, सैलरी स्लिप आपको मेल के जरिए भेज दी जाती है.
भारत में मासिक वेतन पर्ची कर्मचारियों की आय का प्रमाण है और उन्हें टैक्स* बचाने वाले इंस्ट्रूमेंट्स जैसे पीपीएफ, एनपीएस, और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में निवेश करने में भी मदद करती है.
आइए हम भारत में मौजूद सेलरी स्लिप के बारे में जानकारी लेते हैं.
सैलरी पे स्लिप क्या होती है?
एम्प्लॉई सैलरी स्लिप एक दस्तावेज़ होता है जिसमें आपको अपने एम्प्लायर से मिलने वाली सैलरी से संबंधित जानकारी होती है. पेरोल सेलरी स्लिप में ग्रॉस सेलरी और सेलरी के ब्रेक-अप के बारे में जानकारी होती है, जिसमें कटौती भी शामिल है. आपके अकाउंट में सेलरी क्रेडिट होने के बाद मंथली रूप से ऑनलाइन पे स्लिप जारी की जाती है.
एम्प्लॉई कोड क्या है?
सैलरी स्लिप में एक एम्प्लॉई कोड शामिल होता है, जो एक यूनिक नंबर होता है जो कंपनियों को सेलरी क्रेडिट करते समय एम्प्लॉई की पहचान करने में मदद करता है. इससे एम्प्लॉई के कंपनी से बाहर निकलने पर उनकी पहचान करने में भी मदद मिलती है. कर्मचारी का नाम, संपर्क जानकारी, टाइटल, साथ ही उनके काम करने के घंटे, सैलरी और बेनिफिट सहित सभी महत्वपूर्ण जानकारी एम्प्लॉई कोड से लिंक की जाती है.
हालांकि एम्प्लॉई कोड देना अनिवार्य नहीं है, लेकिन बड़े संगठनों में यह समझ में आता है. एम्प्लॉई की पहचान की सेकेंडरी कन्फर्मेशन के तौर पर, अगर संगठन में एक ही नाम के दो या दो से ज़्यादा एम्प्लॉई काम कर रहे हों, तो यह मिक्स-अप के जोखिम को कम करता है.
यह एम्प्लॉई कोड ज़्यादातर प्रशासनिक इस्तेमाल के लिए है, और एम्प्लॉई को इसकी ज़रूरत नहीं है. लेकिन, कुछ कंपनियां एम्प्लॉई कोड में आपके ईपीएफ नंबर या एनपीएस नंबर का इस्तेमाल करती हैं.
सैलरी स्लिप फॉर्मेट क्या है?
सेलरी स्लिप के घटकों में शामिल हैं:
अलाउंस
बेसिक सैलरी
बेसिक सैलरी आपकी सेलरी का प्राथमिक घटक है. आपकी सैलरी के अन्य घटकों की कैलकुलेशन आपकी बेसिक सेलरी के हिसाब से की जाती है, जो इसे आपकी कुल सेलरी का एक महत्वपूर्ण पहलू बनाता है. किसी भी कटौती, अतिरिक्त, बोनस आदि के लागू होने से पहले बेस राशि बेसिक सैलरी होती है. यह आपकी ग्रॉस सैलरी या कुल सीटीसी का एक खास प्रतिशत होता है.
मकान का अलाउंस
एचआरए या हाउस रेंट अलाउंस भी आपकी सैलरी स्लिप के घटकों में से एक है. यह आपकी बेसिक सैलरी का कुछ प्रतिशत होता है और इसकी कैलकुलेशन आपकी बेसिक सैलरी के आधार पर की जाती है.
ट्रेवल अलाउंस
ऑनलाइन पे स्लिप पर ट्रेवल अलाउंस में वह राशि शामिल होती है जो एम्प्लॉयर द्वारा आपकी नौकरी से जुड़े ट्रेवल खर्चों को कवर करने के लिए दी जाती है.
विशेष अलाउंस
ऑनलाइन सेलरी स्लिप फॉर्मेट में एक विशेष अलाउंस वह राशि है जो आपकी कुल सेलरी के अंदर बची हुई है. आपको पता होना चाहिए कि यह पूरी राशि टैक्स योग्य है. अगर आपका एम्प्लॉयर आपको टैक्स* बचाने वाला इंस्ट्रूमेंट देता है, जैसे कि फ्री मील पास, तो आपको अपनी सेलरी के इस सेक्शन में इसका विकल्प चुनना होगा.
महंगाई अलाउंस
महंगाई अलाउंस वह राशि है जो केंद्र सरकार द्वारा उनके एम्प्लॉई और पेंशनरों को उनके जीवन यापन के खर्च में एडजस्टमेंट के तौर पर दी जाती है. महंगाई के प्रभावों को संतुलित करने के लिए अलाउंस की कैलकुलेशन बेसिक सैलरी के प्रतिशत के रूप में की जाती है.
मेडिकल अलाउंस: मेडिकल अलाउंस एक ख़ास राशि होती है, जो एम्प्लॉयर एम्प्लॉई को उनके मेडिकल खर्चों का भुगतान करने के लिए कुल सैलरी के एक घटक के रूप में प्रदान करता है.
कटौती
प्रोविडेंट फ़ंड
भारत में आपकी सेलरी स्लिप के इस हिस्से में प्रोविडेंट फ़ंड में एम्प्लॉई और एम्प्लॉयर के योगदान को कवर किया जाता है. यह उन लोगों के लिए स्वैच्छिक कटौती है, जिनकी मंथली सैलरी ₹15000 से ज़्यादा है. एम्प्लॉयर बेसिक सैलरी से मंथली कुछ प्रतिशत की कटौती करता है. साथ ही, उतनी ही राशि एम्प्लॉयर को एम्प्लॉई के प्रोविडेंट फ़ंड अकाउंट में जमा करनी होगी.
प्रोविडेंट फंड ज़रूरी है क्योंकि जब आप काम कर रहे होते हैं तब यह रिटायरमेंट के लिए सेविंग करने में आपकी मदद करता है. पेरोल सेलरी स्लिप के इस घटक पर टैक्स* की छूट है. साथ ही, आपके द्वारा जमा की जाने वाली राशि पर सरकार द्वारा तय की गई दर के हिसाब से ब्याज़ मिलता है.
प्रोफेशनल टैक्स*
यह टैक्स* कुछ राज्य सरकारें लगाती हैं. यह टैक्स* इसलिए लिया जाता है ताकि एम्प्लॉई उस ख़ास पेशे में उस ख़ास राज्य में काम कर सके. सेलरी स्लिप के इस घटक के तहत, आपको अधिकतम ₹2500 सालाना तक का भुगतान करना होगा. इस तरह, यह टैक्स* एक राज्य से दूसरे राज्य में अलग-अलग होता है.
ग्रेच्युटी
यह भी आपकी सेलरी पे स्लिप का सबसे महत्वपूर्ण घटक है. देश के हर एम्प्लॉयर को आपकी बेसिक सेलरी में से यह राशि काटनी होगी. जो राशि काटी जाती है, वह एम्प्लॉई के ग्रेच्युटी फंड में जाती है. आपको मिलने वाले ग्रेच्युटी के फ़ायदे, यह इस बात पर निर्भर करते हैं कि कंपनी में कितने साल से एम्प्लॉई हैं.
एनपीएस
आर्म्ड फोर्सेज को छोड़कर केंद्र सरकार के सभी एम्प्लॉई के लिए नेशनल पेंशन स्कीम में योगदान अनिवार्य है. पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्य सरकारों ने अपने एम्प्लाइज के लिए नेशनल पेंशन स्कीम अपनाई है. निजी संगठनों के कर्मचारी भी स्वेच्छा से एनपीएस में योगदान कर सकते हैं और टैक्स में कटौती का फायदा उठा सकते हैं. साथ ही, एम्प्लॉयर की शर्तों के मुताबिक, एम्प्लॉयर अपने एम्प्लॉई के एनपीएस अकाउंट में भी योगदान कर सकते हैं.
इनकम टैक्स*
आपकी सेलरी पर इनकम टैक्स* की कैलकुलेशन सभी कटौतियों और टैक्स*-छूटों को ध्यान में रखते हुए की जाती है. इसकी कैलकुलेशन उस टैक्स* स्लैब के आधार पर की जाती है, जिसके तहत वह व्यक्ति आता है. साथ ही, यह भारत में सेलरी स्लिप के सबसे जटिल हिस्सों में से एक है.
अगर आप टैक्स बचाने वाली स्कीम में निवेश करके टैक्स*-बचाना चाहते हैं. ऐसा करने का एक तरीका है लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदना. अगर आप सही लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी की तलाश कर रहे हैं तो आप टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस का चुनाव कर सकते हैं. पॉलिसी को आपकी पसंद के आधार पर ऑनलाइन और ऑफलाइन खरीदा जा सकता है. लाइफ इंश्योरेंस प्लान के साथ, आप भारतीय इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 80C के तहत, शर्तों के अधीन, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम पर अधिकतम ₹1.5 लाख तक की टैक्स* कटौती का फायदा ले सकते हैं.
ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस या टर्म इंश्योरेंस
ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस या ग्रुप टर्म इंश्योरेंस के लिए भुगतान किए गए किसी भी प्रीमियम का उल्लेख आपकी सेलरी स्लिप में कटौती के तौर पर किया जाता है.
अनपेड लीव्स
अगर आपने साल के दौरान कोई भी भुगतान नहीं किया है, तो इस सेक्शन के तहत सैलरी में कटौती का उल्लेख किया जाएगा.
निष्कर्ष
सेलरी स्लिप आपके लिए ज़रूरी दस्तावेज़ों में से एक है. यह सिर्फ़ आपकी इनकम का प्रूफ नहीं है, बल्कि लोन लेने या लाइफ इंश्योरेंस प्लान खरीदने जैसी स्थितियों में भी ज़रूरी है. आप या तो ऑनलाइन पे स्लिप का विकल्प चुन सकते हैं या फिर प्रिंटेड प्राप्त कर सकते हैं. ऑनलाइन पे स्लिप फॉर्मेट एक ऑफलाइन पे स्लिप के समान है, और यह आपकी सैलरी के सभी घटकों को कवर करेगा. सैलरी पर बातचीत करते समय सभी घटकों को ध्यान में रखें ताकि बाद में आपको किसी परेशानी का सामना न करना पड़े. इसके अलावा, टैक्स बचाने वाली स्कीम में निवेश करें, ताकि आपको चुकाने वाले टैक्स* की मात्रा कम हो सके.
L&C/Advt/2023/Jul/1961