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भारत में टैक्सपेयर्स के लिए, इनकम टैक्स की कैलकुलेशन* और टैक्स फाइल करने की प्रक्रिया फाइनेंशियल प्लानिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इनकम टैक्स एक्ट की अलग-अलग धाराओं के तहत अलग-अलग टैक्स कटौती और छूट के प्रावधान उपलब्ध होने के कारण, आप हर वित्तीय वर्ष में टैक्स बचत का फायदा ले सकते हैं.
ऑनलाइन उपलब्ध इनकम टैक्स कैलकुलेटर के कारण आपके लिए अपने फाइनेंस और टैक्स की योजना बनाना आसान हो जाता है क्योंकि आप यह कैलकुलेट कर सकते हैं कि इनकम टैक्स स्लैब दरों के तहत अपने टैक्सपेयर की केटेगरी के अनुसार आपको कितना टैक्स देना होगा.
वित्तीय वर्ष (एफवाई) के लिए अपनी टैक्स देयता चेक करने के लिए हमारे इनकम टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल करें 2023-24.
इनकम टैक्स कैलकुलेटर एक तेज़ और इस्तेमाल में आसान ऑनलाइन टूल है, जिसे इनकम टैक्स विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट के साथ-साथ अन्य थर्ड-पार्टी वेबसाइटों पर भी पाया जा सकता है.
टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल आपकी टैक्स योग्य इनकम और कटौती योग्य निवेश और खर्चों के आधार पर आपके द्वारा चुकाए जाने वाले टैक्स का अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है. हालाँकि, आपकी टैक्स योग्य इनकम के निर्धारण के अधीन भी नए बदलाव होंगे, जो हर साल भारत में यूनियन बजट में पेश किए जा सकते हैं. इसलिए, टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल करते समय, सही वित्तीय वर्ष चुनना ज़रूरी होता है, जिसके लिए आप अपना टैक्स फाइल करना चाहते हैं.
इनकम टैक्स कैलकुलेटर की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह टूल आपको परिणाम देने के लिए आपकी उम्र, इनकम, खर्च, निवेश, आपके होम लोन पर चुकाए गए ब्याज़ और कई अन्य विवरणों पर विचार करेगा. इसके अलावा, यह टैक्स व्यवस्था (पुरानी या नई) और साथ ही टैक्सपेयर के टैक्स स्लैब के आधार पर देय इनकम टैक्स का अनुमान भी लगाता है.
इनकम टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल करना आसान है और सही जानकारी भरने के बाद आप कुछ ही मिनटों में अपनी टैक्स योग्य इनकम का अंदाज़ा लगा सकते हैं. यहां बताया गया है कि आप ऑनलाइन इनकम टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं:
ऑनलाइन इनकम टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल करना न केवल आसान है, बल्कि इससे कई फायदे भी मिलते हैं. पहला, अपनी टैक्स योग्य इनकम की मैन्युअल रूप से कंप्यूटिंग करना परेशानियों से भरा एक लंबा प्रोसेस हो सकता है. जब आप अपने टैक्स, निवेश और अन्य कंपोनेंट्स की एक साथ कैलकुलेशन करते हैं, तो मानवीय ग़लतियों की गुंजाइश भी ज़्यादा हो सकती है. आप अपनी टैक्स योग्य इनकम की कैलकुलेशन आसानी से कर सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए, ऑनलाइन इनकम टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल करने के ये कुछ फ़ायदे हैं:
ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर को हमारी ऑफिशियल वेबसाइट या इनकम टैक्स विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर आसानी से ऐक्सेस किया जा सकता है. इसका मतलब है कि आप अपनी सुविधानुसार, कहीं से भी अपने टैक्स की कैलकुलेशन कर सकते हैं.
यूज़र-फ़्रेंडली ऑनलाइन टूल के साथ, टैक्स की कैलकुलेशन में ज्यादा समय नहीं लगता है. बशर्ते आप सही जानकारी भरें, यह जानने में कुछ मिनट से भी कम समय लगेगा कि आपकी इनकम पर कितना टैक्स लगेगा और टैक्स की अनुमानित राशि कितनी देय होगी.
जब ऑनलाइन कैलकुलेटर आपसे आपके निवेश के बारे में पूछता है, तो यह इनकम टैक्स एक्ट की विभिन्न धाराओं को समझने में आपकी मदद करता है, जिसके तहत आप टैक्स में कटौती का क्लेम करके अपनी टैक्स योग्य इनकम को कम कर सकते हैं.
चूंकि ऑनलाइन कैलकुलेटर हमेशा ऑनलाइन उपलब्ध रहता है, इसलिए आप इनकम टैक्स भुगतान की तैयारी और टैक्स रिटर्न समय पर फाइल करने की तैयारी कर सकते हैं, ताकि आप टैक्स की देय तारीखों से न चूकें या जिसकी वजह से जुर्माना देना पद सकता है.
आपकी सैलरी से होने वाली इनकम बेसिक सैलरी, एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस), विशेष अलाउंस, ट्रांसपोर्ट अलाउंसऔर किसी भी अन्य प्रकार के अलाउंस का योग होती है. इनमें से कुछ अलाउंस और कंपोनेंट्स पर टैक्स छूट मिलती है. अगर आप किराए पर रह रहे हैं और एचआरए ले रहे हैं, तो आप एचआरए पर छूट का क्लेम कर सकते हैं.
इन छूटों के अलावा, बजट 2018 के दौरान इसे पेश किए जाने के बाद से ही ₹40,000 का स्टैंडर्ड कटौती लागू है. 2019 से, स्टैंडर्ड कटौती को बढ़ाकर ₹50,000 कर दिया गया है. पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत, टैक्स बचाने वाले कई निवेश हैं, जिनसे आप इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत टैक्स कटौती का फायदा उठा सकते हैं. इसके अलावा, इनकम टैक्स एक्ट की धारा 24B में आप नया घर खरीदने, रिनोवेट करने या नया घर बनाने के लिए लिए गए लोन के ब्याज़ पर ₹2,00,000 तक की कटौती का क्लेम कर सकते हैं.
अगर कोई टैक्सपेयर नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनता है, तो वे इन छूटों और कटौतियों का फायदा नहीं उठा सकता है.
उदाहरण के लिए, रूही की बेसिक सैलरी ₹1,00,000 प्रति माह और एचआरए ₹50,000, विशेष अलाउंस ₹21,000 प्रति माह और सालाना एलटीए ₹20,000 का है. मान लीजिए कि वह ₹40,000 का किराया देती है और मुंबई में रहती है. पुरानी और नई कर व्यवस्था के अनुसार, उसकी कर योग्य इनकम इस प्रकार दिखती है:
नेचर | राशि | छूट/कटौती | टैक्सेबल (पुराना) | टैक्सेबल (नया) |
बेसिक सैलरी | ₹12,00,000 | - | ₹12,00,000 | ₹12,00,000 |
एचआरए | ₹6,00,000 | ₹3,60,000 | ₹2,40,000 | ₹6,00,000 |
विशेष अलाउंस | ₹2,52,000 | - | ₹2,52,000 | ₹2,52,000 |
एलटीए | ₹20,000 | ₹12,000 (बिल सबमिट करने के बाद) | ₹8000 | ₹20,000 |
स्टैंडर्ड कटौती | - | ₹50,000 | ₹50,000 | - |
सैलरी से होने वाली कुल इनकम | - | - | ₹16,50,000 | ₹20,72,000 |
अपने इनकम टैक्स की कैलकुलेशन करने में सक्षम होने के लिए, उसे सभी स्रोतों से होने वाली इनकम को शामिल करना होगा:
मान लीजिए कि रूही को अपने बचत खाते के ब्याज से ₹8,000 की इनकम होती है और साथ ही वित्तीय वर्ष के दौरान उसे फिक्स्ड डिपॉजिट से ₹12,000 की इनकम होती है. उन्होंने ₹50,000 के पीपीएफ, ₹20,000 के ईएलएसएस, ₹8,000 के जीवन बीमा प्रीमियम और वर्ष के लिए ₹12,000 के मेडिकल बीमा प्रीमियम में भी निवेश किया है. इसलिए, पुरानी कर व्यवस्था के तहत, वह इन निवेशों पर कटौती का क्लेम कर सकती है.
नेचर | अधिकतम कटौती |
निवेश/खर्चे | क्लेम की गई राशि |
धारा 80C | ₹1,50,000 | पीपीएफ - ₹50,000, ईएलएसएस - ₹20,000, जीवन बीमा के प्रीमियम - ₹8,000, रूही का ईपीएफ योगदान = ₹1,00,000 x 12% x 12 = ₹1,44,000 | ₹1,50,000 |
धारा 80 CCD(1B) | ₹50,000 | नेशनल पेंशन स्कीम | लागू नहीं |
धारा 80D | ₹25,000 रूही के लिए और ₹50,000 उसके माता-पिता के लिए | मेडिकल बीमा का प्रीमियम ₹12,000 | ₹12,000 |
धारा 80TTA | ₹10,000 | बचत खाते पर ₹8,000 का ब्याज | ₹8,000 |
इनकम टैक्स स्लैब | पुरानी टैक्स व्यवस्था | नई टैक्स व्यवस्था | ||
उम्र | 60 साल से कम | 60 साल और उससे अधिक और 80 साल से कम | 80 साल और उससे अधिक | एक्रॉस एज ग्रुप |
₹0.0 – ₹2.5 लाख | - | - | - | - |
₹2.5 – ₹3.0 लाख | 5% | - | - | - |
₹3.0 – ₹5.0 लाख | 5% | 5% | - | 5% |
₹5.0 – ₹6.0 लाख | 20% | 20% | 20% | 5% |
₹6.0 – ₹7.5 लाख | 20% | 20% | 20% | 10% |
₹7.5 – ₹9.0 लाख | 20% | 20% | 20% | 10% |
₹9.0 – ₹10.0 लाख | 20% | 20% | 20% | 15% |
₹10.0 – ₹12.0 लाख | 30% | 30% | 30% | 15% |
₹12.0 – ₹12.5 लाख | 30% | 30% | 30% | 20% |
₹12.5 – ₹15.0 लाख | 30% | 30% | 30% | 20% |
> ₹15 लाख | 30% | 30% | 30% | 30% |
₹10 लाख की ग्रॉस सालना इनकम के साथ 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति के लिए इनकम टैक्स स्लैब का सैंपल इलस्ट्रेशन
विवरण | टैक्स स्लैब | पुरानी टैक्स व्यवस्था (₹) | नइ टैक्स व्यवस्था (₹) |
ग्रॉस इनकम | 10,00,000 | 10,00,000 | |
कटौती: | |||
धारा के तहत: 80C | 1,50,000 | ||
धारा के तहत: 80CCD(1B) | 50,000 | ||
धारा के तहत: 80D | 25,000 | ||
धारा के तहत: 24(b) | 2,00,000 | ||
टैक्सेबल इनकम | 5,75,000 | 10,00,000 | |
टैक्स स्लैब (पुराना) | |||
₹0.0 – ₹2.5 लाख | 0% | - | |
₹2.5 – ₹3.0 लाख | 5% | 2,500 | |
₹3.0 – ₹5.0 लाख | 5% | 10,000 | |
₹5.0 – ₹6.0 लाख | 20% | 15,000 | |
₹6.0 – ₹7.5 लाख | 20% | ||
₹7.5 – ₹9.0 लाख | 20% | ||
₹9.0 – ₹10.0 लाख | 20% | ||
₹10.0 – ₹12.0 लाख | 30% | ||
₹12.0 – ₹12.5 लाख | 30% | ||
₹12.5 – ₹15.0 लाख | 30% | ||
> ₹15 लाख | 30% | ||
टैक्स स्लैब (नया) | |||
₹0.0 – ₹2.5 लाख | 0% | - | |
₹2.5 – ₹3.0 लाख | 0% | - | |
₹3.0 – ₹5.0 लाख | 5% | 10,000 | |
₹5.0 – ₹6.0 लाख | 5% | 5,000 | |
₹6.0 – ₹7.5 लाख | 10% | 15,000 | |
₹7.5 – ₹9.0 लाख | 10% | 15,000 | |
₹9.0 – ₹10.0 लाख | 15% | 15,000 | |
₹10.0 – ₹12.0 लाख | 15% | ||
₹12.0 – ₹12.5 लाख | 20% | ||
₹12.5 – ₹15.0 लाख | 20% | ||
> ₹15 लाख | 30% | ||
इनकम टैक्स | 27,500 | 60,000 | |
सेस @ 4% | 1,100 | 2,400 | |
कुल टैक्स देना होगा | 28,600 | 62,400 |
₹20 लाख की ग्रॉस वार्षिक इनकम वाले 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति के लिए इनकम टैक्स स्लैब का सैंपल इलस्ट्रेशन
विवरण | टैक्स स्लैब | पुरानी टैक्स व्यवस्था (₹) | नई टैक्स व्यवस्था (₹) |
ग्रॉस इनकम | 20,00,000 | 20,00,000 | |
कटौती: | |||
धारा के तहत: 80C | 1,50,000 | ||
धारा के तहत: 80CCD(1B) | 50,000 | ||
धारा के तहत: 80D | 25,000 | ||
धारा के तहत: 24(b) | 1,00,000 | ||
टैक्सेबल इनकम | 16,75,000 | 20,00,000 | |
टैक्स स्लैब (पुराना) | |||
₹0.0 – ₹2.5 लाख | 0% | - | |
₹2.5 – ₹3.0 लाख | 5% | 2,500 | |
₹3.0 – ₹5.0 लाख | 5% | 10,000 | |
₹5.0 – ₹6.0 लाख | 20% | 20,000 | |
₹6.0 – ₹7.5 लाख | 20% | 30,000 | |
₹7.5 – ₹9.0 लाख | 20% | 30,000 | |
₹9.0 – ₹10.0 लाख | 20% | 20,000 | |
₹10.0 – ₹12.0 लाख | 30% | 60,000 | |
₹12.0 – ₹12.5 लाख | 30% | 15,000 | |
₹12.5 – ₹15.0 लाख | 30% | 75,000 | |
> ₹15 लाख | 30% | 52,500 | |
टैक्स स्लैब (नया) | |||
₹0.0 – ₹2.5 लाख | 0% | - | |
₹2.5 – ₹3.0 लाख | 0% | - | |
₹3.0 – ₹5.0 लाख | 5% | 10,000 | |
₹5.0 – ₹6.0 लाख | 5% | 5,000 | |
₹6.0 – ₹7.5 लाख | 10% | 15,000 | |
₹7.5 – ₹9.0 लाख | 10% | 15,000 | |
₹9.0 – ₹10.0 लाख | 15% | 15,000 | |
₹10.0 – ₹12.0 लाख | 15% | 30,000 | |
₹12.0 – ₹12.5 लाख | 20% | 10,000 | |
₹12.5 – ₹15.0 लाख | 20% | 50,000 | |
> ₹15 लाख | 30% | 1,50,000 | |
इनकम टैक्स | 3,15,000 | 3,00,000 | |
सेस @ 4% | 12,600 | 12,000 | |
कुल टैक्स देना होगा | 3,27,600 | 3,12,000 |
चूंकि आपकी सैलरी में कई तरह के घटक होते हैं जिन्हें आपके इनकम टैक्स की कैलकुलेशन करते समय ध्यान में रखा जाता है और इनमें से कुछ पर टैक्स छूट भी मिलती है, इसलिए आपको अपनी ग्रॉस टैक्स योग्य इनकम जानने के लिए ऑनलाइन इनकम टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल करना चाहिए. आपकी टैक्स देयता के बारे में जानने में आपकी मदद करने के लिए ये निम्नलिखित स्टेप्स हैं:
ग्रॉस इनकम कैलकुलेट करें
अपनी कुल इनकम पर ध्यान दें, जिसमें आपके सभी भत्ते शामिल होने चाहिए. आपकी सैलरी पर इनमें से कुछ मुख्य छूटों में एचआरए, लीव ट्रैवल अलाउंस (एलटीए) वगैरह शामिल हो सकते हैं. इन्हें आपकी कुल सालाना सैलरी में से हटा दिया जाना चाहिए.
हाउस रेंट अलाउंस नीचे दिए गए अनुसार दिया जा सकता है:
जो सबसे कम हो उसे चुनें और ऑनलाइन इनकम टैक्स कैलकुलेटर में उसका उल्लेख करें. वित्तीय वर्ष 2021-22 और वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अपनी सालाना इनकम में से ₹50,000 की स्टैंडर्ड कटौती का क्लेम करना भी संभव है. आप इनकम टैक्स कैलकुलेटर की मदद से स्टैंडर्ड कटौती और एचआरए में कटौती कर सकते हैं.
इसके बाद, दूसरे स्रोतों से होने वाली इनकम की घोषणा करें, जैसे कि डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज़, कैपिटल गेन वगैरह. इससे आपको आपकी कुल ग्रॉस इनकम मिलेगी.
नेट टैक्स योग्य इनकम को कैलकुलेट करें
इस स्टेप में, टैक्स बचाने वाले अपने विभिन्न निवेश विकल्पों को कम्पाइल करें और उनको कैलकुलेट करें. इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 80C के तहत, आप टैक्स बचाने वाले कुछ निवेशों में इन्वेस्ट करके अपनी टैक्स योग्य इनकम कम कर सकते हैं. टैक्स बचाने के स्टैंडर्ड विकल्प इस प्रकार हैं:
आपके ऑनलाइन इनकम टैक्स कैलकुलेटर पर टैक्स बचाने वाली विभिन्न धारा इस प्रकार हैं:
इस धारा के तहत, व्यक्ति और साथ ही हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के सदस्य, जीवन बीमा पॉलिसी, एम्प्लॉई प्रोविडेंट फ़ंड (ईपीएफ), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), और बहुत कुछ जैसे विभिन्न निवेशों पर ₹1.5 लाख तक की टैक्स कटौती का क्लेम कर सकते हैं.
अगर आप नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में निवेश करते हैं, तो आप धारा 80CCD(1) के तहत टैक्स कटौती का फायदा उठा सकते हैं. अगर आप एक सैलरीड एम्प्लॉई हैं, तो आप धारा 80 CCE के तहत अपनी ग्रॉस सेलरी के 10% पर ₹1.5 लाख तक की कटौती का क्लेम कर सकते हैं.
एक सैलरीड या सेल्फ-एम्प्लॉयड व्यक्ति के रूप में, आप धारा 80CCD(1B) के तहत कटौती के अलावा, ₹50,000 की कर कटौती का फायदा उठा सकते हैं. इसलिए, सामूहिक रूप से, आप धारा 80C और धारा 80CCD(1B) के तहत ₹2 लाख तक की बचत कर सकते हैं.
अगर आप अपने जीवन बीमा प्लान से जुड़े हेल्थ राइडर्स के लिए हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम या जीवन बीमा प्रीमियम का भुगतान कर रहे हैं, तो आप व्यक्तिगत रूप से या एचयूएफ के तौर पर धारा 80D के तहत टैक्स कटौती का फायदा उठा सकते हैं. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के मामले में, अधिकतम जिस कटौती का क्लेम किया जा सकता है, उसकी कैलकुलेशन इस प्रकार की जाती है:
इस धारा के तहत, कोई व्यक्ति या एचयूएफ, परिवार के किसी आश्रित, विशेष रूप से सक्षम सदस्य को भुगतान किए जाने वाले मेडिकल खर्चों के लिए कटौती का क्लेम कर सकता है. विकलांगता की प्रकृति और सीमा के आधार पर, उपलब्ध कटौती ₹1.25 लाख तक हो सकती है.
एक व्यक्ति के तौर पर, आप इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80E के तहत एजुकेशन लोन पर चुकाए गए ब्याज़ पर 8 वर्षों के लिए कटौती का फायदा उठा सकते हैं.
नेट टैक्स योग्य इनकम के आधार पर टैक्स स्लैब
वित्त वर्ष 2021-2022 के यूनियन बजट में नई कर व्यवस्था जोड़े जाने के बाद, यूनियन बजट 2022-2023 के बाद भी पुरानी कर व्यवस्था, साथ ही नई कर व्यवस्था लागू है. नई कर व्यवस्था ने इनकम टैक्स देयता की कैलकुलेशन को आसान बना दिया है; आप अपनी टैक्स देयता जानने के लिए ऑनलाइन आईटी कैलकुलेटर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
इनकम टैक्स दर कैलकुलेटर की मदद से अपनी सालना इनकम में से सभी लागू कटौतियों को घटाने के बाद, आपको अपनी नेट टैक्स योग्य इनकम मिलती है. मौजूदा टैक्स स्लैब दरों के हिसाब से, टैक्स का भुगतान उस टैक्सपेयर केटेगरी के अनुसार किया जाना चाहिए, जिसके अंतर्गत आप आते हैं. कटौती के बाद देय नेट टैक्स को कंसोलिडेट करते समय (टैक्स बचाने वाले निवेश के जरिए), देख लें कि क्या आप धारा 87A के तहत छूट के लिए पात्र हैं.
अगर किसी की नेट टैक्स योग्य इनकम ₹5 लाख से कम है, तो भारत सरकार द्वारा टैक्सपेयर को टैक्स में छूट का फायदा दिया जाता है. इसलिए, अगर आपकी कुल टैक्स योग्य इनकम ₹5 लाख से अधिक नहीं है, तो कुल देय टैक्स पर ₹12,500 तक की अतिरिक्त छूट का क्लेम किया जा सकता है, जिसमें 4% का हेल्थ और एजुकेशन सेस शामिल नहीं है. लेकिन अगर नेट टैक्स योग्य इनकम ₹5 लाख से ज़्यादा है, तो आपको इस धारा के तहत टैक्स छूट का फायदा नहीं मिल सकता है.
अगर आप मूल छूट सीमा से ज़्यादा कमाते हैं, तो आपको अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा. और ऑनलाइन आईटी कैलकुलेटर आपको यह समझने में मदद कर सकता है कि आपको कितना इनकम टैक्स देना चाहिए. साथ ही, जिनकी टैक्स योग्य इनकम छूट सीमा से कम है, वे निल रिटर्न फ़ाइल कर सकते हैं. अपना इनकम टैक्स रिटर्न ऑनलाइन फाइल करने के ये फायदे हैं:
कोई भी व्यक्ति, जिसकी इनकम अधिकतम छूट सीमा से अधिक है या जिसकी इनकम पर इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जा सकता है, उसे इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करना चाहिए. वित्तीय वर्ष 2022-2023 के लिए, 60 वर्ष से कम आयु वाले व्यक्तियों के लिए एक वित्तीय वर्ष के लिए ₹2.5 लाख की छूट सीमा है. सीनियर सिटीज़न (60-80 वर्ष की आयु के बीच) के लिए, छूट की सीमा ₹3 लाख है. और सुपर सीनियर सिटीज़न (80 वर्ष से अधिक आयु के) के लिए, छूट की सीमा ₹5 लाख है.
टैक्स के भुगतान और इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करने से संबंधित टैक्स कानून हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ), एसोसिएशन ऑफ़ पर्सन (एओपी), बॉडी ऑफ़ इंडिविजुअल (बीओआई), आर्टिफिशियल ज्यूडिशियल पर्सन, स्थानीय प्राधिकारी, कंपनी और फर्म पर भी लागू होते हैं.
मुझे आईटीआर कब फाइल करना चाहिए?
आपको वित्तीय वर्ष के आखिर में 31 जुलाई तक अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर देना चाहिए. अगर आपके बिजनेस या कमाई का टैक्स ऑडिट किया जाता है, तो आईटीआर फाइल करने की नियत तारीख 31 अक्टूबर होगी. और जहाँ ट्रांसफर मूल्य निर्धारण लागू है, वित्तीय वर्ष के बाद 30 नवंबर की नियत तारीख होगी.
इनकम की अधिकतम नॉन-टैक्सेबल लिमिट क्या है?
मौजूदा इनकम टैक्स कानूनों के अनुसार, अगर आप एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिसकी किसी दिए गए वित्तीय वर्ष में कुल इनकम ₹2,50,000 की ग्रॉस टोटल इनकम के ऊपर की छूट सीमा से अधिक है, तो इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना ज़रूरी है.
मूल्यांकन वर्ष और वित्तीय वर्ष में क्या अंतर है?
टैक्सपेयर के लिए वित्तीय वर्ष वह वर्ष होगा जिसके दौरान वह कमाता है या उसे इनकम होती है, निवेश करता है और कई तरह के खर्च उठाता है. मूल्यांकन वर्ष वित्तीय वर्ष के बाद आता है, और यह मूल्यांकन वर्ष के दौरान होगा, जब पिछले वर्ष की इनकम का आकलन किया जाएगा और उस पर टैक्स लगाया जाएगा. यह वह वर्ष भी है जब इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने होंगे.
क्या हर किसी को आईटीआर फाइल करने की जरूरत है?
अगर किसी वित्तीय वर्ष में नई कर व्यवस्था के तहत आपकी ग्रॉस सालाना इनकम ₹2,50,000 से अधिक है, तो मौजूदा टैक्स कानूनों के तहत टैक्स रिटर्न फ़ाइल करना अनिवार्य है. ग्रॉस सालाना इनकम अलग-अलग स्रोतों से होने वाली इनकम से बनती है, जिसमें सैलरी, रियल एस्टेट से होने वाली इनकम, कैपिटल गेन से होने वाली इनकम आदि शामिल हैं.
प्रोफ़ेशनल टैक्स क्या होता है?
प्रोफ़ेशनल टैक्स एक इनडायरेक्ट टैक्स होता है, जो एम्प्लॉयर द्वारा किसी एम्प्लॉई के ग्रॉस सैलरी में डिडक्ट कर लिया जाता है. यह टैक्स सरकार द्वारा लगाया जाता है और यह एम्प्लॉई के इनकम टैक्स स्लैब पर आधारित होता है. टैक्स अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होगा और अधिकतम ₹2500 का शुल्क लिया जा सकता है.
मेरी सैलरी में से कितनी टैक्स राशि काटी जाएगी?
अगर सभी कटौतियों और छूट की कैलकुलेशन के बाद आपकी सैलरी टैक्स योग्य सीमा के अंतर्गत आती है, तो आपको संबंधित टैक्सपेयर की केटेगरी के लिए इनकम टैक्स की दरों के मुताबिक अपने इनकम टैक्स का भुगतान करना होगा. आप ऊपर दिए गए अनुसार पुराने और नए इनकम टैक्स स्लैब चेक कर सकते हैं.
भारत में कौन सी इनकम टैक्स योग्य नहीं है?
भारत में बहुत सारी इनकम टैक्सेशन के योग्य नहीं हैं. उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
आप टैक्स कटौती और छूट के बीच अंतर कैसे करते हैं?
टैक्स कटौती वह राशि होती है जो आपकी टैक्स योग्य इनकम को कम करने के लिए आपकी कुल इनकम में शामिल नहीं होती है, जबकि टैक्स छूट का मतलब है कि आपकी इनकम का एक निश्चित हिस्सा टैक्स के योग्य नहीं है या आपकी इनकम में योगदान नहीं करता है.
मुझे 10 लाख के लिए कितना टैक्स देना चाहिए?
₹10 लाख की कमाई पर आपको ऊपर दिए गए टैक्स स्लैब को चेक करके पता चल सकता है कि आपको कितना टैक्स देना चाहिए.
मुझे अपनी सैलरी पर कितना टैक्स देना चाहिए?
आप अपनी सैलरी पर कितना इनकम टैक्स देना चाहेंगे, यह देखने के लिए, टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस की ऑफिशियल वेबसाइट या इनकम टैक्स विभाग के ऑफिशियल पोर्टल पर ऑनलाइन आईटी कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं.
क्या आईटीआर फाइल करना अनिवार्य है?
जी हां, अगर आपकी इनकम टैक्सेबल है तो आपको अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा. अगर आपकी इनकम पर टैक्स योग्य नहीं है, तो भी आपको निल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा.
अपनी टैक्स योग्य इनकम कैसे कम करें?
आप इनकम टैक्स एक्ट के विभिन्न टैक्स बचत प्रावधानों के तहत लाइफ़ इंश्योरेंस प्लान या निवेश के अन्य विकल्पों में इन्वेस्ट करके अपनी इनकम कम कर सकते हैं. आप अपनी टैक्स योग्य इनकम को कम करने के लिए एक वित्तीय वर्ष के लिए अधिकतम ₹1.5 से 2 लाख की कर कटौती का क्लेम कर सकते हैं.
धारा 80C के तहत टैक्स कटौती की सीमा क्या है?
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत टैक्स कटौती की सीमा ₹1.5 लाख प्रति फाइनेंशियल वर्ष है.
इनकम टैक्स को ऑनलाइन कैलकुलेट कैसे करें?
इनकम टैक्स की ऑनलाइन कैलकुलेशन करने के लिए, आप बस इनकम टैक्स विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर जा सकते हैं और उनके ऑनलाइन इनकम टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं. वैकल्पिक रूप से, आप अपनी टैक्स योग्य इनकम का अनुमान लगाने के लिए टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस के इनकम टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
इनकम टैक्स के नियमों में हाल ही में क्या बदलाव हुए हैं?
अप्रैल 2022 के बाद से, इनकम टैक्स के नियमों में ये कुछ बड़े बदलाव हैं:
धारा 87A क्या है?
धारा 87A के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो भारतीय निवासी है, जिसकी कुल इनकम ₹5,00,000 से कम है, इस धारा के तहत छूट का क्लेम कर सकता है. यह छूट ऐसी कटौती के रूप में काम करती है जिससे टैक्स की देयता कम हो जाती है और यह टैक्स देयता का 100% हो सकता है या ₹12,500 जो भी कम हो.
इसलिए, अगर टैक्स की देयता ₹12,500 से ज़्यादा है, तो छूट सिर्फ़ ₹12,500 तक की मिलेगी. अगर टैक्स योग्य कुल इनकम ₹5,00,000 से ज़्यादा हो तो कोई छूट नहीं मिलेगी.
क्या मैं इनकम टैक्स विभाग के पोर्टल पर उपलब्ध इनकम टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकता हूँ?
हाँ, आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पोर्टल पर वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए इनकम टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं.
होम लोन लेने के टैक्स बेनिफिट क्या हैं?
अगर आप होम लोन लेते हैं, तो आप होम लोन के ब्याज़ पर धारा 24(b) के तहत ₹2 लाख तक की कटौती और इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक के प्रिंसिपल के रीपेमेंट पर टैक्स कटौती का क्लेम कर सकते हैं. अगर होम लोन जॉइंट बेसिस से लिया जाता है, तो प्रत्येक उधारकर्ता कटौती और लागू टैक्स बेनिफिट का क्लेम कर सकता है.
धारा 24 के तहत टैक्स कटौती क्या है?
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 24 के तहत, अगर कोई होमओनर या उनके परिवार ने प्रॉपर्टी को ऑक्युपाईड कर लिया है, तो वे अपने होम लोन के ब्याज़ पर ₹2 लाख तक की कटौती का क्लीयम कर सकते हैं. अगर वे पिछले वित्तीय वर्ष के रिटर्न फाइल करते हैं, तो ₹1,50,000 तक की कटौती का क्लेम किया जा सकता है. अगर घर किराए पर दिया जाता है, तो पूरा ब्याज़ कटौती के तौर पर माफ कर दिया जाएगा.
इनकम टैक्स सर्टिफ़िकेट क्या होता है और यह ज़रूरी क्यों होता है?
यह दस्तावेज़ प्रमाणित करता है कि भारत छोड़ने वाले व्यक्ति ने भारत में अपने सभी टैक्स बकाया को पूरा कर दिया है और भविष्य में होने वाली किसी भी टैक्स देनदारी को पूरा करने के लिए उसने ज़रूरी इंतज़ाम किए हैं. इनकम टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट से किसी भी बकाया राशि से संबंधित टैक्स विभाग द्वारा क्लीयरेंस मिल जाता है.
क्या आईटीआर फाइल करना मेरे क्रेडिट स्कोर को प्रभावित करता है?
अगर आप अपना आईटीआर समय पर फाइल करते हैं, तब जब आप लोन लेना चाहते हैं, तब आप इनकम के प्रूफ के तौर पर आईटीआर स्टेटमेंट दे सकते हैं. अपना आईटीआर फाइल किए बिना, आप इनकम के इस महत्वपूर्ण प्रूफ को खो देते हैं, जिससे आपके लेंडर से क्रेडिट मिलने की संभावना कम हो सकती है और आपका क्रेडिट स्कोर भी कम हो सकता है.
भारत में इनकम टैक्स छूट की अधिकतम सीमा क्या है?
60 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के लिए इनकम टैक्स छूट की अधिकतम सीमा ₹2.5 लाख है, जबकि 60-80 वर्ष से कम आयु के लोगों के लिए यह ₹3 लाख से कम और 80 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए यह ₹5 लाख है.
क्या इनकम टैक्स कैलकुलेटर टीडीएस की कैलकुलेशन करता है?
इनकम टैक्स कैलकुलेटर मूल्यांकन वर्ष के लिए आपकी टैक्स लाइबिलिटी को कैलकुलेट करेगा, न कि स्रोत पर टैक्स कटौती (टीडीएस) को कैलकुलेट करेगा.
आईटीआर ई-फाइल करते समय क्या-क्या जरूरी जानकारी चाहिए?
इनकम टैक्स विभाग के ऑफिशियल पोर्टल को ऐक्सेस करने के लिए लॉगिन जानकारी और पासवर्ड की ज़रूरत के अलावा, आपको अपने पैन कार्ड की कॉपी, आधार कार्ड की कॉपी, बैंक स्टेटमेंट या बैंक पासबुक की ज़रूरत होगी.
वित्तीय वर्ष (एफवाई) 2023-2024 के लिए इनकम टैक्स की कैलकुलेशन कैसे की जाती है?
मूल्यांकन वर्ष 2023-2024 के लिए इनकम टैक्स की कैलकुलेशन टैक्सपेयर द्वारा चुनी गई व्यवस्था के आधार पर की जाती है. बजट 2023 में घोषित टैक्स दरें ऊपर दी गई हैं..
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए स्टैंडर्ड कटौती क्या है?
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सैलरीड व्यक्तियों के लिए स्टैंडर्ड कटौती ₹50,000 है, जो पिछले वर्ष की स्टैंडर्ड कटौती के समान है.
अस्वीकरण
अपने वित्तीय या अन्य पेशेवर सलाहकार से परामर्श करने के बाद कृपया अपना खुद का स्वतंत्र निर्णय लें.
*मौजूदा इनकम टैक्स कानूनों के मुताबिक, इनकम टैक्स बेनिफिट मिलेंगे, बशर्ते कि उसमें निर्धारित शर्तें पूरी हों. इनकम टैक्स कानून बदलाव के अधीन हैं. टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड इस दस्तावेज़ में कहीं भी उल्लेख किए गए टैक्स प्रभावों की ज़िम्मेदारी नहीं लेता है. आपके लिए उपलब्ध टैक्स बेनिफिट जानने के लिए कृपया अपने टैक्स सलाहकार से सलाह लें. लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी/राइडर ख़रीदना एक लंबी अवधि की प्रतिबद्धता है. राइडर के तहत पॉलिसी/बेनिफिट विकल्प को जल्दी खत्म करने में आमतौर पर ऊंची लागत शामिल होती है, और देय सरेंडर वैल्यू भुगतान किए गए सभी प्रीमियमों से कम हो सकती है.
^विशेष प्लान विकल्पों के लिए उपयुक्त. कृपया अतिरिक्त जानकरी के लिए ब्रोशर देखें.
**लेटेस्ट सालाना ऑडिट किए गए आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022 - 23 के लिए इंडिविजुअल डेथ क्लेम सेटलमेंट रेश्यो 99.01% है.
$धारा 80C के आधार पर ₹46,800 तक के टैक्स बेनिफिट की कैलकुलेशन 1,50,000 रुपये के जीवन बीमा प्रीमियम पर 31.20% की उच्चतम टैक्स स्लैब दर (सरचार्ज को छोड़कर) पर की जाती है. पॉलिसी के तहत टैक्स बेनिफिट धारा 80C, 80D,10(10D), 115BAC और इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 के अन्य लागू प्रावधानों के तहत दी गई शर्तों के अधीन हैं. अगर गुड्स और सर्विस टैक्स और सेस में से कुछ लागू होता है तो मौजूदा दरों के अनुसार अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा. टैक्स-फ्री इनकम सेक्शन 10 (10D) और इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अन्य लागू प्रावधानों के तहत अन्य लागू प्रावधानों के तहत निर्दिष्ट शर्तों के अधीन है. टैक्स कानून समय पर किए गए बदलावों के अधीन हैं. उपरोक्त पर कार्रवाई करने से पहले, कृपया जानकारी के लिए अपने टैक्स सलाहकार से सलाह लें.
#गारंटीड इनकम एक साल में देय सालाना प्रीमियम/सिंगल प्रीमियम (छूट को छोड़कर) का एक निश्चित प्रतिशत होगी. चुनी गई इनकम फ्रीक्वेंसी के अनुसार गारंटीड सालाना इनकम, इनकम अवधि के अंत तक मैच्योरिटी के बाद शुरू होगी, भले ही इनकम अवधि के दौरान इंश्योर्ड व्यक्ति सर्वाइव करे या नहीं करे.
~रेगुलर इनकम के तहत इनबिल्ट क्रिटिकल इलनेस बेनिफ़िट विकल्प के साथ उपलब्ध
@राइडर्स अनिवार्य नहीं हैं और उन्हें मामूली अतिरिक्त लागत पर उपलब्ध है. राइडर के तहत मिलने वाले फ़ायदों, प्रीमियम और एक्सक्लूज़न के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए कृपया राइडर ब्रोशर देखें या हमारे इंश्योरेंस सलाहकार से संपर्क करें या हमारे नज़दीकी ब्रांच ऑफ़िस में जाएँ.
इन प्रॉडक्ट के तहत इंश्योरेंस कवर उपलब्ध है.
प्रॉडक्ट को टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा अंडरराइट किया गया है.
यह प्लान गारंटीड जारी किया गया प्लान नहीं हैं और यह कंपनी की अंडरराइटिंग और स्वीकार्यता के अधीन होगा.
जोखिम वाले कारकों, नियमों और शर्तों के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए कृपया खरीदने से पहले सेल्स ब्रोशर को ध्यान से पढ़ें.
L&C/Advt/2023/Oct/3668