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भारत में 5 गंभीर बीमारियाँ के बारे में आपको अवश्य पता होना चाहिए

10-जून-2021 |

यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है, लेकिन समृद्धि के साथ-साथ, आधुनिक दुनिया में हर साल गंभीर बीमारियों, ख़ासकर गैर-संचारी किस्म की घटनाएं ज़्यादा होती हैं. इन बीमारियों के इलाज और मैनेजमेंट से आपकी सेविंग्स खत्म हो जाती है और ठीक होने के दौरान आपको इनकम का नुकसान भी हो सकता है. इसलिए, क्रिटिकल इलनेस कवर या क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस लेने से आपके सेविंग्स प्लान में मदद मिलती है और आप कम तनाव के साथ अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा कर सकते हैं.

 

 

क्या हेल्थ इंश्योरेंस काफी नहीं है?

 

 

गंभीर बीमारियों के कारण कभी-कभी खर्चे नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं. हेल्थ इंश्योरेंस में हॉस्पिटल में भर्ती होने से पहले और बाद के खर्च, और कुछ मामलों में, डे केयर की प्रक्रिया और ओपीडी परामर्श शामिल होते हैं. आप इन्डेम्निटी के आधार पर क्लेम करके उनका फायदा उठा सकते हैं.

 

 

गंभीर बीमारियाँ बहुत लंबे समय तक चलती हैं, और उपरोक्त खर्चों के अलावा, इनकम में कमी, यात्रा के खर्च और बोर्डिंग का खर्च और देखभाल के खर्च भी हो सकते है. उन बीमारियों के लिए क्रिटिकल इलनेस कवर जिनके आप पात्र हैं वो एक बार में लम्पसम राशि प्रदान करता है, जिसे ठीक होने के लिए, खर्च किया जा सकता है.

 

 

5 गंभीर बीमारियाँ जिनके लिए आपको इंश्योरेंस करवाना चाहिए

 

हम भारत में कुछ सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बताएंगे, जिन्हें गंभीर बीमारियों के तौर पर बाँटा जाता है. वे गंभीर, लॉन्ग-टर्म या पुरानी बीमारियां हैं, जिनके लिए बहुत देखभाल की ज़रूरत होती है और अक्सर उन्हें जीवन भर मैनेज करने की ज़रूरत होती है. क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस पॉलिसियों में आमतौर पर सटीक बीमारियों के बारे में बताया जाता है, जो कवरेज के लिए योग्य हैं.

 

 

कैंसर

 

आम धारणा के विपरीत, कैंसर सिर्फ़ एक बीमारी नहीं है, बल्कि बहुत सी स्थितियों के लिए एक अम्ब्रेला टर्म है. उनमें से अधिकांश में काफी अलग जीन शामिल हैं लेकिन कुछ सामान्य ट्रिगर में डीएनए क्षति, कार्सिनोजन एक्सपोजर आदि शामिल हैं. कैंसर एक बहुत महंगी बीमारी है. शुरुआती स्टेज में ही बीमारी का पता चलने पर इलाज ठीक से हो पाता है. स्कैन, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, डाइट वगैरह करवाने से जुड़े कई तरह के खर्च होते हैं, जिनके हर राउंड का खर्च ₹50,000 से ₹2 लाख के बीच होता है. कैंसर इंश्योरेंस से इनसे निपटने में मदद मिल सकती है, लेकिन इनकम को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए आपको सेविंग्स इंश्योरेंस भी लेना चाहिए.

 

 

किडनी फ़ेलियर

 

किडनी फ़ेलियर को एन्ड स्टेज रीनल डिजीज भी कहा जाता है. जब नुकसान की सीमा 15% से कम हो जाती है, तो किडनी फ़ैल होने की बात कही जाती है और मरीज़ को डायलिसिस और/या ट्रांसप्लांट की ज़रूरत पड़ेगी. किडनी फ़ेलियर आमतौर पर डाइबिटीज, अन्य संक्रमणों और कभी-कभी कीमोथेरेपी से उत्पन्न होने वाली एक जटिलता है.

 

 

डायलिसिस का खर्च ₹12,000 और ₹20,000 प्रति माह के बीच हो सकता है, इसके अलावा ओपीडी शुल्क और इनकम में कमी भी आती है, क्योंकि यह एक बहुत ही कमजोर करने वाली बीमारी है. किडनी ट्रांसप्लांट की लागत 5 लाख रुपये से अधिक होती है और इसके लिए आजीवन सावधानी की आवश्यकता होती है क्योंकि मरीज को इम्यूनोसप्रेसेन्ट की आवश्यकता होगी और वह अन्य बीमारियों की चपेट में आ सकता है. यात्रा के खर्चे भी एक महत्वपूर्ण वित्तीय बोझ बन सकते हैं.

 

 

क्रिटिकल इलनेस राइडर* के साथ क्रिटिकल इलनेस कवर या लाइफ इंश्योरेंस मंथली इनकम प्लान उपयोगी हो सकता है.

 

 

हार्ट प्रॉब्लम्स और कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी (सीएबीजी)

 

जब क्लॉट्स के कारण ब्लॉकेज हो जाते हैं या प्लाक जमा होने के कारण धमनियां सिकुड़ जाती हैं, तो हृदय तक रक्त का प्रवाह सीमित हो जाता है. इस ब्लॉकेज के प्रति प्रतिक्रिया और गंभीर हो सकती है, जैसे एनजाइना (सीने में दर्द), सांस लेने में तकलीफ से लेकर दिल का दौरा, जहां ऑक्सीजन की कमी के कारण हृदय की मांसपेशियां मरने लगती हैं.

 

 

हालांकि इस समस्या के होने की संभावना को कम करने के लिए डिज़ाइन किए गए हेल्थी डाइट लेने में मदद मिल सकती है, कभी-कभी फिट और डिसिप्लिन लोगों को भी दिल का दौरा पड़ जाता है. बहुत गंभीर मामलों में सामान्य ट्रीटमेंट का विकल्प कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी है. सर्जरी में हेल्थी आर्टरी या वीन को ग्राफ्ट करना शामिल है ताकि अवरुद्ध आर्टरी को बायपास किया जा सके. यह एक बड़ी सर्जरी है जिसका रिकवरी का एक लंबा और मुश्किल सफर है, जिसके दौरान तनाव और ज़्यादा काम करना सख्त मना है.

 

 

सीएबीजी की लागत ₹1.5 लाख से लेकर ₹6 लाख तक हो सकती है. फिर अच्छी तरह से ठीक होने के लिए पोस्ट-ऑपरेटिव केयर, यात्रा खर्च, स्वस्थ आहार और फिजियोथेरेपी का खर्चा होता है.

 

 

स्ट्रोक और पैरालिसिस

 

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है. स्ट्रोक तब होता है जब ब्लड क्लॉट्स की वजह से मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है, जिससे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. ये ब्लड क्लॉट्स शरीर के अलग-अलग हिस्से से माइग्रेट हो सकते हैं, इसे थ्रोम्बोसिस कहते हैं. स्ट्रोक के लक्षणों में फेस ड्रॉपिंग, हाथ में कमजोरी और बोलने में दिक्कत शामिल है और इसके लिए तुरंत चिकित्सा की आवश्यकता होती है.

 

 

एक अलग स्ट्रोक भी होता है, जिसे हेमोरेजिक स्ट्रोक कहा जाता है, जहाँ दिमाग में ब्लीडिंग होती है. लोगों को ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (टीआईए) भी हो सकता है, जो एक तरह का छोटा स्ट्रोक है, जो आमतौर पर भविष्य के स्ट्रोक का चेतावनी संकेत होता है. टीआईए स्ट्रोक अपने आप ठीक हो जाता है और लक्षण दूर हो जाते हैं लेकिन इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए.

 

 

हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज़, स्मोकिंग की आदतें और हार्ट रिदम में गड़बड़ी वाले लोगों को स्ट्रोक होने का खतरा ज़्यादा होता है. स्ट्रोक के इलाज में ब्लड थिनर या थ्रोम्बोलिटिक्स देना शामिल है जो ब्लड फ्लो को रिस्टोर कर सकता है. नुकसान की गंभीरता के आधार पर, स्पीच थेरेपी, फ़िज़ियोथेरेपी और अन्य उपचारों की ज़रूरत पड़ सकती है. 6 महीनों के इलाज का औसत खर्च ₹80,000 से ज़्यादा हो सकता है.

 

 

स्ट्रोक से इनकम में कमी भी हो सकती है. इसलिए, इनकम इंश्योरेंस ज़रूरी है.

 

अल्जाइमर रोग

 

डिमेंशिया या अल्ज़ाइमर रोग सबसे दुर्भाग्यपूर्ण प्रोग्रेसिव ब्रेन डीजेनेरेशन स्थितियों में से एक है जो दुनिया भर में बढ़ रही है. ब्रेन सेल एट्रोफी और ब्रेन मैटर सिकुड़ जाता है. यह बीमारी भूलने की बीमारी से शुरू होती है और कई ऑर्गन फेलियर के साथ समाप्त होती है क्योंकि लाइफ के महत्वपूर्ण कार्य अब नहीं किए जा सकते हैं.

 

 

इस स्थिति को ठीक नहीं किया जा सकता. जोखिम वाले कारकों पर संदेह किया गया है लेकिन उन्हें अच्छी तरह से दस्तावेज़ीकृत नहीं किया गया है और डिमेंशिया के मरीज़ों की देखभाल करना मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत परेशान करने वाला है. क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस से पैसे जुटाने में मदद मिल सकती है, लेकिन देखभाल और चिकित्सीय उपायों के लिए भुगतान करने के लिए मंथली इनकम प्लान के साथ लाइफ़ इंश्योरेंस लेना बहुत ज़रूरी है.

 

 

निष्कर्ष

 

ऊपर बताई गई गंभीर बीमारियाँ हैं जिनसे निपटने के लिए हर किसी को तैयार रहना चाहिए. आप टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस से नॉन-लिंक्ड, नॉन-पार्टिसिपेटिंग इंडिविजुअल लाइफ इंश्योरेंस सेविंग्स प्लान का फायदा उठाकर सुविधाओं से लैस रह सकते हैं.

 

 

L&C/Advt/2021/Jun/0835

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