2017 में जब जीएसटी लागू किया गया था, तब कोई भी इस बारे में बात कर सकता था. यह एक गेम-चेंजिंग टैक्स था जिसके विभिन्न उद्योगों पर अच्छे और बुरे - दोनों प्रभाव पड़े. लाइफ इंश्योरेंस पर जीएसटी के कारण अलग-अलग तरह की लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलिसियां पर प्रीमियम बढ़ गया. इस आर्टिकल से आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि एक लाइफ़ इंश्योरेंस ख़रीदार के तौर पर आपके लिए इसका क्या मतलब है और यह उन सभी चीज़ों के बारे में विस्तार से बताएगा जो आपके लिए जानना ज़रूरी है.
क्या लाइफ़ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर टैक्स* लगता है*?
हाँ, पॉलिसीधारक द्वारा लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम पर भारत में टैक्स लगता है. ध्यान देने वाली ज़रूरी बात यह है कि लाइफ़ इंश्योरेंस प्रीमियम पर चुकाए जाने वाले टैक्स में भुगतान किए गए प्रीमियम पर इनकम टैक्स की कटौती के कारण नहीं होना चाहिए.
भारत में दो तरह की कर प्रणालियाँ हैं - प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर (डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स). इनकम टैक्स एक डायरेक्ट टैक्स होता है जो आप अपनी कमाई पर चुकाते हैं. इस आय में आपकी वेतन आय, पेशेवर आय, किराये की आय आदि शामिल हैं. जब आप हर वित्तीय वर्ष में अपना टैक्स फाइल करते हैं, तो आप इनकम टैक्स के लिए ऐसा करते हैं.
लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए आपको मिलने वाले टैक्स कटौती के फ़ायदे, इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 80C और धारा 80D के तहत हैं. आपने साल में जितने भी इंश्योरेंस प्रीमियम चुकाए हैं, उन पर आप ₹1.5 लाख तक की कटौती का लाभ उठा सकते हैं.
हालाँकि, इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते और उसके प्रीमियम का भुगतान करते समय, लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी लागू होता है.
जीएसटी क्या है ?
जीएसटी, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, एक तरह का अप्रत्यक्ष (डायरेक्ट) टैक्स है, जिसने भारत में मौजूद कई अप्रत्यक्ष टैक्स की जगह ले ली, जैसे कि वैट, सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी आदि. इसे डेस्टिनेशन बेस्ड टैक्स कहा जाता है, यानी जब आप किसी प्रोडक्ट या सर्विस को खरीदते हैं या उसका उपभोग करते हैं तो यह लगाया जाता है.
बीमा (इंश्योरेंस) एक सेवा है. यह वित्तीय सेवाओं की श्रेणी में आता है. इसलिए जीएसटी लागू होने से पहले लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों पर दिए जाने वाले प्रीमियम पर सर्विस टैक्स लगाया जाता था. अब सर्विस टैक्स की जगह लाइफ इंश्योरेंस (जीवन बीमा) प्रीमियम पर जीएसटी लगाया जाता है.
लाइफ इंश्योरेंस प्लान को आमतौर पर टर्म इंश्योरेंस, यूलिप और एंडोमेंट प्लान में विभाजित किया जाता है. यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि इन श्रेणियों की लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलिसियों पर जीएसटी अलग तरह से लागू होता है.
अलग-अलग पॉलिसियों के लिए जीएसटी का प्रभाव कैसे अलग-अलग होता है?
टर्म इंश्योरेंस प्लान
टर्म पॉलिसी, लाइफ़ इंश्योरेंस प्लान के सबसे किफ़ायती और पसंदीदा प्रकारों में से एक है. यह पूरी तरह से सुरक्षा देने वाला प्लान है, क्योंकि इसमें सिर्फ़ डेथ बेनिफ़िट मिलता है न कि मैच्योरिटी बेनिफ़िट. टर्म पॉलिसी की अवधि के दौरान पॉलिसीधारक की मृत्यु के मामले में, नॉमिनी को बीमा राशि (सम एश्योर्ड) प्राप्त होगी. टर्म इंश्योरेंस के लिए, प्रीमियम भुगतान पर एक स्टैंडर्ड 18% जीएसटी लागू होता है.
एंडॉवमेंट प्लान
एंडोमेंट प्लान एक तरह का लाइफ़ इंश्योरेंस होता है, जिसमें डेथ और मैच्योरिटी दोनों तरह के लाभ होते हैं. इसका मतलब है कि बीमा राशि (सम एश्योर्ड) का भुगतान बीमा प्लान की मैच्योरिटी पर या पॉलिसीधारक के निधन के मामले में एकमुश्त किया जाता है. एंडोमेंट प्लान के लिए, लागू जीएसटी थोड़ा अलग है. पहले साल के प्रीमियम पर 4.50% की, लाइफ इंश्योरेंस जीएसटी दर है. अगले वर्षों के लिए, 2.25% जीएसटी दर लागू है.
यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान्स (यूलिप)
यूलिप पारंपरिक लाइफ़ इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स से थोड़े अलग होते हैं. वे पॉलिसीधारक को इंश्योरेंस के ज़रिए अपने पैसे बढ़ाने का मौका देते हैं. यूलिप आंशिक बीमा और आंशिक निवेश प्रोडक्ट हैं. यूलिप के लिए, प्रीमियम पर भी 18% जीएसटी लगाया जाता है. सबसे अच्छी बात यह है कि इस जीएसटी दर में फंड मैनेजमेंट शुल्क और प्रीमियम भुगतान दोनों शामिल हैं.
पहले और बाद की जीएसटी दरों की तुलना क्या है?
यहां अलग-अलग तरह की पॉलिसियों से पहले और बाद की लाइफ़ इंश्योरेंस की जीएसटी दरों का स्नैपशॉट दिया गया है.
लाइफ इंश्योरेंस प्रॉडक्ट |
बाद में |
टर्म इंश्योरेंस & यूलिप |
18% |
एंडोमेंट प्लान (प्रथम वर्ष) |
4.50% |
एंडोमेंट प्लान (बाद के वर्ष) |
2.25% |
सिंगल प्रीमियम एन्युटी प्लान |
1.8% |
क्या मैं लाइफ़ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी के लिए कटौती का क्लेम कर सकता/सकती हूँ?
हाँ, आप अपने द्वारा चुकाए गए लाइफ़ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी पर कटौती का क्लेम कर सकते हैं. यह तभी संभव है, जब सेक्शन 80C के मुताबिक प्रीमियम कटौती की कुल राशि, जिसमें उस पर लागू जीएसटी भी शामिल है, ₹1.5 लाख की समग्र सीमा के अंदर हो.
क्या लाइफ इंश्योरेंस लेने से जीएसटी से बचा जा सकता है?
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर जीएसटी का प्राथमिक प्रभाव प्रीमियम राशि में बढ़ोतरी था, लेकिन इसमें एक नई बात भी है. पॉलिसीधारकों ने लाइफ इंश्योरेंस को केवल टैक्स बचाने वाले टूल के रूप में देखना बंद कर दिया है और उन्होंने बीमा के प्राथमिक उद्देश्य - वित्तीय सुरक्षा पर ध्यान देना शुरू कर दिया है.
जीएसटी के प्रभाव का एक और सकारात्मक प्रभाव यह है कि कुछ जीवन बीमा प्रदाताओं ने पॉलिसियां इस तरह से डिज़ाइन करने का फ़ैसला किया है, जिससे उनके ग्राहकों को बेहतर डील मिल सकें. टाटा एआईए लाइफ़ इंश्योरेंस बहुत सारे फायदों के साथ टर्म इंश्योरेंस प्लान प्रदान करता है. इनमें डिस्काउंटेड प्रीमियम, 100 साल तक का कवरेज, 98.53% का इंडिविजुअल डेट क्लेम सेटलमेंट रेश्यो2 (वित्त वर्ष 2021-22) और बहुत कुछ शामिल हैं
टाटा एआईए लाइफ़ इंश्योरेंस का टर्म इंश्योरेंस प्लान इन-बिल्ट पेआउट एक्सेलेरेटर बेनिफ़िट के साथ भी आता है, जो पॉलिसीधारक को टर्मिनल बीमारी का पता चलने पर बीमा राशि (सम एश्योर्ड) का 50% प्रदान करता है. अन्य उपयोगी राइडर्स# की एक रेंज भी है, जैसे आकस्मिक मृत्यु और विकलांगता, जो आपकी टर्म इंश्योरेंस प्लान को अधिक व्यापक बनाने में मदद कर सकती है. इससे यह सुनिश्चित हो जाएगा कि आपके जाने के बाद भी आपके प्रियजन आर्थिक रूप से सुरक्षित रहेंगे.
L&C/Advt/2023/Feb/0587