19-07-2022 |
बॉन्ड वित्तीय साधन हैं जो आपकी मेहनत से कमाए गए पैसे पर सुरक्षित रिटर्न सुनिश्चित करते हैं. कंजर्वेटिव निवेशक लम्बी अवधि के फायदे के लिए बॉन्ड में निवेश का विकल्प चुनते हैं. भारत में अलग-अलग तरह के बॉन्ड हैं. आप बॉन्ड सुविधाओं की तुलना कर सकते हैं और अपनी वित्तीय जरूरतों के अनुरूप आदर्श विकल्प चुन सकते हैं. इसलिए, यह समझना ज़रूरी है कि बॉन्ड का मतलब क्या है, यह दूसरे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट से कैसे अलग है, और अच्छी जानकारी से निर्णय लेने के तरीके क्या हैं. तो, इस संबंध में आपकी सबसे अच्छी मदद करने के लिए यहां एक विवरण दिया गया है.
बॉन्ड क्या है?
एक बॉन्ड एक फाइनेंशियल डेब्ट इंस्ट्रूमेंट है जिसमें जारीकर्ता कंपनी या सरकार आपसे धन उधार लेगी और एक ब्याज राशि का भुगतान करेगी जिसे कूपन कहा जाता है. आपको बॉन्डहोल्डर कहा जाता है और स्टॉक निवेश के मामले में इक्विटी हिस्सेदारी के विपरीत, कंपनी में आपकी लेनदार हिस्सेदारी होगी.
जारीकर्ता कंपनी और बॉन्डहोल्डर के बीच एक फॉर्मल एग्रीमेंट होगा, जिसमें जारीकर्ता लागू ब्याज के साथ उधार लिए गए पैसे को लम्पसम या मंथली, अर्ध-वार्षिक या वार्षिक जैसे नियमित अंतरालों में चुकाने के लिए बाध्य करेगा.
फिक्स्ड इनकम बॉन्ड में निवेश करना भारत में उपलब्ध अन्य विकल्पों की तुलना में कम जोखिम भरा होता है. सरकार और दूसरी कंपनियां लंबी अवधि के निवेश करने या अपने मौजूदा खर्चों को मैनेज करने के लिए बॉन्ड के जरिए फंड उधार लेती हैं.
बॉन्ड के प्रकार
भारत में जारी होने, अवधि और फ्लेक्सिबिलिटी के आधार पर अलग-अलग तरह के बॉन्ड उपलब्ध हैं. बॉन्ड की कीमतें और ब्याज दरें देश की वित्तीय स्थिरता के आधार पर अलग-अलग होंगी.
गवर्नमेंट-सिक्योरिटी बांड्स - गवर्नमेंट-सिक्योरिटी बांड्स केंद्र या राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए सरकारी सुरक्षा बॉन्ड कहलाते हैं. यह भारत में सबसे अधिक खरीदे जाने वाले डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स में से एक है. इन्हें एक निश्चित ब्याज दर पर जारी किया जाता है और बॉन्ड का टेन्योर 5 से 40 साल के बीच हो सकता है.
सरकार इंफ़्रास्ट्रक्चर के विकास से जुड़ी परियोजनाओं में शामिल होने, मौजूदा खर्चों या अन्य खर्चों का भुगतान करने और छोटे निवेशकों को कम जोखिम पर ब्याज़ कमाने में मदद करने के लिए ऐसे बॉन्ड जारी करती है.
कॉरपोरेट बांड्स - कॉर्पोरेट बांड्स वे बॉन्ड होते हैं जिन्हें कंपनियों द्वारा एक निश्चित अवधि के लिए निवेशकों से ज़रूरी फ़ंड उधार लेने के लिए जारी किया जाता है. बॉन्ड अवधि के दौरान कंपनी खास ब्याज़ देगी. कंपनियां बिजनेस ग्रोथ के लिए पूंजी जुटाने के लिए ऐसे निवेश करती हैं.
यह उन लोगों के लिए पसंदीदा निवेश है, जो सुरक्षित रूप से पॉलिसी अवधि के दौरान एक निश्चित ब्याज़ दर पर कमाई करना चाहते हैं. पॉलिसी के मैच्योर होने पर निवेशक को फेस वैल्यू और ब्याज मिलेगा.
कन्वर्टिबल बांड्स - कन्वर्टिबल बॉन्ड से डेब्ट और इक्विटी के फायदे मिलते हैं. हालाँकि, किसी भी समय, आप या तो डेब्ट या इक्विटी बेनिफिट प्राप्त कर सकते हैं और एक ही समय में दोनों नहीं. आप बॉन्ड को निश्चित संख्या में स्टॉक में बदल सकते हैं और कंपनी के शेयरधारक बन सकते हैं.
ज़ीरो-कूपन - जैसा कि नाम से ही पता चलता है, ज़ीरो-कूपन बॉन्ड पर कोई ब्याज़ नहीं देता है. हालाँकि, बॉन्ड के मेच्योर होने पर इसे उचित बेनिफिट देते हुए अच्छे डिस्काउंट पर ट्रेड किया जाता है. यह उन लोगों के लिए एक आदर्श निवेश है जो एक निश्चित अवधि के लिए अपने धन को सुरक्षित रूप से पार्क करना चाहते हैं. सरकार द्वारा जारी ट्रेजरी बिल जीरो-कूपन बॉन्ड का उदाहरण हैं, जिसकी मैच्योरिटी अवधि एक साल से कम है.
इन्फ्लेशन से जुड़े बॉन्ड - ये मुख्य रूप से सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं और इन्फ्लेशन जोखिम से बचाते हैं. इसलिए, मूल राशि और उससे जुड़ी ब्याज़ दरों में बढ़ोतरी महंगाई की दर के हिसाब से उतार-चढ़ाव करती रहती है.
सॉवरेन-गोल्ड बांड्स - सॉवरेन गोल्ड बांड्स केंद्र सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं. वे उन लोगों को जारी किए जाते हैं, जो सोने में निवेश करना चाहते हैं लेकिन इसे इसके फिजिकल रूप में नहीं रखना चाहते हैं. यह निवेश का एक सुरक्षित तरीका है, और इससे मिलने वाले ब्याज़ पर टैक्स* में छूट मिलती है. इन टैक्स* फ्री बॉन्ड की मेच्योरिटी अवधि 8 साल हो सकती है और निवेशक पांच साल के निवेश के बाद कभी भी इन्हें रिडीम कर सकते हैं.
फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड (आरबीआई बॉन्ड) - ये बॉन्ड आरबीआई द्वारा जारी किए जाते हैं और इनका टेन्योर 7 साल का हो सकता है. बॉन्ड की पूरी अवधि के दौरान ब्याज़ दरों में उतार-चढ़ाव होता रहता है. ब्याज़ दर हर छह महीने में एडजस्ट हो जाती है. इसलिए, निवेशक ब्याज का भुगतान अर्ध-वार्षिक रूप से करते हैं, न कि बॉन्ड के मच्योर होने पर.
ब्याज दरें तय नहीं होने के कारण यह देश में मौजूद आर्थिक हालात पर आधारित है. बॉन्ड का पुनर्भुगतान बॉन्ड अवधि के आखिर में किया जा सकता है. समय से पहले रिडेम्पशन एक खास केटेगरी के लोगों पर लागू होता है, जैसे कि वरिष्ठ नागरिक. और यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि अर्जित ब्याज इनकम टैक्स * स्लैब दर के आधार पर टैक्स योग्य है.
सरकारी बॉन्ड में निवेश करने के लिए, आपको डीमैट अकाउंट की ज़रूरत हो सकती है. आप किसी बैंक या स्टॉकब्रोकर से इसे ओपन कर सकते हैं. जब आपके पास डीमैट अकाउंट और बैंक अकाउंट ऐक्टिव हो, तो आप स्टॉकब्रोकर के ज़रिये या सीधे एक्सचेंज में बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं. आप व्यक्तिगत रूप से नज़दीकी ब्रांच में जाकर अपने बैंक या पोस्ट ऑफ़िस के जरिए भी इसका फायदा उठा सकते हैं. सरकार ने आरबीआई रिटेल डायरेक्ट गिल्ट अकाउंट भी लॉन्च किया. यह एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जिससे निवेशक सीधे सरकारी सिक्योरिटीज़ ख़रीद सकते हैं और बेच सकते हैं.
और कॉर्पोरेट बॉन्ड के बॉन्ड के नियमों और शर्तों के आधार पर कंपनी की ऑफिशियल वेबसाइट या उनके नज़दीकी ब्रांच ऑफ़िस से लिए जा सकते हैं.
हालांकि बॉन्ड में निवेश करना सुरक्षित और निवेश का पसंदीदा रूप हो सकता है, आप अपने परिवार का वित्तीय भविष्य सुरक्षित रखने के लिए लाइफ इंश्योरेंस प्लान में निवेश करने पर भी विचार कर सकते हैं. इंश्योरेंस प्रोवाइडर्स ने कॉम्प्रिहेंसिव सेविंग्स इंश्योरेंस प्लान पेश किए हैं जो लाइफ कवर और बचत के फ़ायदे दे सकते हैं. इसके अलावा, सेविंग्स प्लान में सुविधाजनक सुविधाएँ होंगी जो आपकी वित्तीय ज़रूरतों के हिसाब से इसे कस्टमाइज़ करने में आपकी मदद करती हैं.
उदाहरण के लिए, हमारी टाटा एआईए सेविंग्स पॉलिसी सुविधाजनक प्रीमियम पेमेंट और पेआउट विकल्प प्रदान करती है, जिससे आपको मासिक, अर्ध-वार्षिक या वार्षिक रूप से प्रीमियम का भुगतान करने में मदद मिलती है और लम्पसम या रेगुलर इनकम के तौर पर पेआउट बेनिफिट मिलता है. इसलिए, जब आप कोई सेविंग्स प्लान खरीदते हैं, तो ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदे पाने के लिए, कॉम्प्रिहेंसिव और सुविधाजनक फायदों के आधार पर अलग-अलग समाधानों की तुलना करें.
निष्कर्ष
बॉन्ड में निवेश करने से आपको लंबी अवधि में अपनी कमाई सुरक्षित रखने में मदद मिलती है. इसके अलावा, यह बॉन्ड के प्रकार के आधार पर आपको उचित रिटर्न दिला सकता है. हालाँकि, अवधि, जारीकर्ता के प्रकार, और ब्याज़ की राशि से जुड़े नियम और शर्तों के आधार पर अलग-अलग तरह के बॉन्ड होते हैं. इसलिए, विभिन्न प्रकार के बॉन्ड पर रिसर्च करें और अपनी व्यक्तिगत वित्तीय जरूरतों के अनुरूप सबसे अच्छा विकल्प चुनें. अंत में, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इच्छानुसार फायदे पाने के लिए बॉन्ड अवधि के दौरान निवेश करते रहें!
L&C/Advt/2023/Jul/2336