इंश्योरेंस पॉलिसी डॉक्यूमेंट को समझने के लिए, लाइफ इंश्योरेंस की कई शब्दों का अर्थ समझना जरुरी है। लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत व्यक्तियों के लिए उपयोग किए जाने वाले कुछ शब्द बीमाधारक यानी इंश्योर्ड, प्रस्तावक यानी प्रोपोज़र, बीमाकर्ता यानी इंश्योरर और लाभार्थी यानी बेनिफिशयरी हैं। पॉलिसी खरीदते समय सूचित निर्णय लेने के लिए इन शब्दों का अर्थ जानने के लिए आगे पढ़ें।
इंश्योरेंस में प्रोपोज़र
प्रोपोज़र वह व्यक्ति होता है जो इंश्योरेंस प्रोवाइडर के पास लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी शुरू करने का प्रस्ताव करता है। वह व्यक्ति या तो अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए पॉलिसी खरीदता है, जिसमें उस व्यक्ति की बीमा योग्य रुचि होती है।
इसलिए, एक प्रोपोज़र वह व्यक्ति होता है जो लाइफ इंश्योरेंस कवरेज के लिए रिक्वेस्ट सबमिट करता है। प्रोपोज़र को पॉलिसीहोल्डर भी कहा जाता है और वह प्रीमियम की पेमेंट करने के लिए उत्तरदायी होता है। प्रोपोज़र का मतलब बेहतर ढंग से समझने के लिए, आपको निम्नलिखित शब्दों का अर्थ भी पता होना चाहिए:
इंश्योर्ड/लाइफ़ एश्योर्ड: लाइफ़ एश्योर्ड यानी बीमित व्यक्ति वह है जो इंश्योरेंस पॉलिसी के जरिए अपने जोखिम को कवर करता है।
इंश्योरर यानी बीमाकर्ता : पॉलिसीहोल्डर के जीवन के लिए इंश्योरर इंश्योरेंस प्रोवाइडर होता है। इंश्योरर जोखिमों का विश्लेषण करता है, कवरेज प्रदान करता है और क्लेम का पेआउट देता है।
बनिफिशयरी यानी लाभार्थी : बनिफिशयरी पॉलिसीहोल्डर के डेथ बेनिफिट का प्राप्तकर्ता होता है।
बीमा योग्य रुचि क्या होती है?
बीमा योग्य रुचि का अर्थ है कि पॉलिसी के प्रपोज़र को या तो जीवित रहने से फ़ायदा होता है या किसी इंश्योर्ड व्यक्ति की मृत्यु के कारण आर्थिक नुकसान होता है। उदाहरण के लिए:
एक हाउसवाइफ की अपने जीवनसाथी में बीमा योग्य रूचि हो सकती है।
एक आश्रित पिता की अपने बेटे में बीमा योग्य रूचि हो सकती है।
किसी एम्प्लॉयर का एम्प्लॉई में बीमा योग्य रूचि हो सकती है।
प्रोपोज़र और लाइफ एश्योर्ड के बीच अंतर
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में प्रोपोज़र और पॉलिसीहोल्डर या तो एक ही या अलग-अलग व्यक्ति होते हैं। प्रपोजर एक पॉलिसी के तहत एप्लीकेंट, मालिक और प्रीमियम देने वाला होता है। जबकि इंश्योर्ड व्यक्ति या लाइफ़ एश्योर्ड वह व्यक्ति है, जिसकी लाइफ कवर होती है। इसलिए, खरीदी गई पॉलिसी के तहत प्रपोजर को इंश्योर्ड होने की ज़रूरत नहीं है।
उदाहरण के लिए: अगर आप अपने नाम पर पॉलिसी खरीदते हैं, तो आप प्रपोजर और इंश्योर्ड व्यक्ति हैं। लेकिन, अगर आप अपने जीवनसाथी या बच्चे के नाम से कोई पॉलिसी खरीदना चाहते हैं, तो आप प्रपोज़र हैं, जबकि जीवनसाथी/बच्चा इंश्योर्ड व्यक्ति होंगे। लेकिन दोनों ही स्थिति में पॉलिसी का खर्च आप ही उठाएंगे। इसलिए, प्रोपोज़र इंश्योर्ड व्यक्ति से कोई अपेक्षा किए बिना लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत प्रीमियम को संभालता है
इंश्योरेंस में प्रोपोजर की क्या भूमिका है?
प्रोपोज़र लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत ज़रूरी व्यक्ति होता है, जो निम्नलिखित भूमिकाएँ निभाता है:
प्रोपोज़र फ़ॉर्म भरकर पॉलिसी खरीदने की शुरुआत करता है।
लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए कवरेज, प्रीमियम, सम एश्योर्ड (बीमा राशि) आदि तय करता है।
पॉलिसी के तहत बेनिफिशियरी (लाभार्थियों) का नाम तय करता है ।
लाइफ कवर के लिए प्रीमियम की पेमेंट करता है।
बेनिफिशियरी का नाम या लाइफ़ इंश्योरेंस के अन्य पहलुओं को बदल सकता है।
पॉलिसी कैंसल कर सकता है।
लाइफ़ इंश्योरेंस में प्रपोज़ल फ़ॉर्म
एक बार जब प्रोपोज़र लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने का फैसला करता है, तो उसे प्रपोज़ल फ़ॉर्म भरना होगा। प्रपोज़ल फ़ॉर्म लाइफ़ इंश्योरेंस के ज़रूरी डाक्यूमेंट्स में से एक है। यह इंश्योरर को लाइफ इंश्योर्ड के बारे में जानकारी लेने में मदद करता है।
उम्र, नाम, लिंग, पता आदि के बारे में जानकारी के अलावा, एक प्रोपोज़ल फ़ॉर्म में इंश्योर्ड व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री, इनकम और बिजनेस के बारे में पूछा जाता है। दी गई जानकारी का इस्तेमाल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा अंडरराइटिंग के लिए किया जाता है। अंडरराइटिंग वह प्रोसेस है जिसके तहत इंश्योरेंस कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कवर के लिए जोखिमों और योग्यता के बारे में जानती है।
इंश्योरेंस में प्रपोजर का नाम बदलना
लाइफ इंश्योरेंस में प्रपोजर को तब बदला जा सकता है जब प्रपोजर की मृत्यु हो जाती है या इंश्योर्ड व्यक्ति 18 वर्ष का हो जाता है। यह तब होता है जब इंश्योर्ड व्यक्ति और प्रोपोज़र अलग-अलग व्यक्ति होते हैं। प्रोपोज़र की मृत्यु होने पर, पॉलिसी का स्वामित्व (ओनरशिप) आमतौर पर लाइफ़ एश्योर्ड व्यक्ति या प्रोपोज़र की वसीयत में लिखे नॉमिनी को ट्रांसफर कर दिया जाता है। स्वामित्व में बदलाव करने के लिए, इंश्योरेंस कंपनी को पॉलिसी के नए मालिक के बारे में सूचित करने के लिए “स्वामित्व में बदलाव” यानी "चेंज इन ओनरशिप" फ़ॉर्म भरना होगा।
इंश्योरेंस में प्रोपोजर से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल
अगर लाइफ़ इंश्योरेंस में पॉलिसी के प्रोपोजर की मृत्यु हो जाए, तो क्या होगा?
अगर किसी पॉलिसी के तहत प्रोपोज़र ही इंश्योर्ड व्यक्ति है, तो प्रोपोज़र की मृत्यु के बाद बेनिफिशियरी (लाभार्थी) को पॉलिसी का बेनिफिट मिलेगा। लेकिन जब प्रोपोज़र और इंश्योर्ड व्यक्ति अलग-अलग होते हैं, तो प्रोपोज़र की वसीयत में बताया गया व्यक्ति पॉलिसीहोल्डर बन जाता है।
लाइफ़ इंश्योरेंस टैक्स* बेनिफिट का क्लेम कौन करता है?
ख़ुद के लिए इंश्योरेंस लेने के मामले में, इंश्योर्ड व्यक्ति प्रीमियम की पेमेंट करता है और टैक्स* बेनिफिट क्लेम करता है। अगर किसी अन्य व्यक्ति के नाम से पॉलिसी खरीदी जाती है, तो इंश्योरेंस प्रपोज़र भी टैक्स* बेनिफिट का क्लेम कर सकता है।
लाइफ़ इंश्योरेंस लेना क्यों ज़रूरी है?
इसलिए, अगर आप इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आपके बाद आपके प्रियजनों के साथ क्या हो सकता है, तो लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलिसी ख़रीदना सही समाधान है। लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलिसी आपकी अनुपस्थिति में आपके प्रियजनों की देखभाल करती है और निम्नलिखित बेनिफिट देती है:
एकमुश्त (लम्पसम) या रेगुलर पेमेंट के रूप में डेथ बेनिफिट देती है।
वित्तीय स्थिरता प्रदान करती है।
लोन चुकाने में आपके परिवार की मदद करती है।
अपने प्रियजनों की शादी या पढ़ाई के खर्चों को पूरा करने में मदद करती है।
रिटायरमेंट बेनिफिट ऑफर करती है।
टैक्स* बेनिफिट ऑफर करती है।
निष्कर्ष
अब आपको इंश्योरेंस में प्रोपोज़र के बारे पूरी जानकारी है और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के बेनिफिट के बारे में सब कुछ पता है। इसलिए, आपको अपने या अपने प्रियजन के लिए उपयुक्त लाइफ़ कवर ख़रीदने पर विचार करना चाहिए।
आपके परिवार का भविष्य सुरक्षित करने और आपके सपनों को पूरा करने के लिए, टाटा एआईए लाइफ़ इंश्योरेंस कई तरह के लाइफ़ इंश्योरेंस प्लान लेकर आया है। कई राइडर# की मदद से, आप अपनी ज़रूरतों के हिसाब से लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलिसी प्लान, जैसे टर्म प्लान तैयार कर सकते हैं। आप सिंगल पेमेंट, लिमिटेड पेमेंट या रेगुलर पेमेंट में से पेमेंट का विकल्प भी चुन सकते हैं। इसलिए, टाटा एआईए से लाइफ़ इंश्योरेंस ऑनलाइन ख़रीदें और अपने प्रियजनों को सुरक्षा संबंधी फाइनेंशियल कवर दें।
L&C/Advt/2023/Apr/1182