नई कर व्यवस्था क्या है?
2020 के यूनियन बजट में पेश की गई नई व्यक्तिगत इनकम टैक्स व्यवस्था 2023 में अलग-अलग टैक्सपेयर पर लागू है. नई टैक्स व्यवस्था ने मौजूदा टैक्स दरों को कम कर दिया है, लेकिन पिछली व्यवस्था के तहत अनुमत कुछ महत्वपूर्ण कटौती और छूटें अब उपलब्ध नहीं हैं.
नई इनकम टैक्स व्यवस्था के लिए टैक्स स्लैब को बजट 2023 में इस प्रकार समायोजित किया गया है:
₹3 लाख तक की इनकम वाले व्यक्तियों पर टैक्स नहीं लगेगा. ₹3 लाख से अधिक और ₹5 लाख तक की इनकम वालों पर 5 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाया जाएगा.
₹6 लाख से ज्यादा और ₹9 लाख तक की कमाई करने वालों पर 10 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाया जाएगा.
9 लाख से 12 लाख तक की इनकम कमाने वालों पर 15 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा.
₹12 लाख से ज़्यादा और ₹15 लाख तक की इनकम पर 20 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा.
15 लाख रुपये से अधिक की टैक्स योग्य इनकम वाले व्यक्तियों पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाएगा.
लेकिन चिंता न करें, अगर आप अपने टैक्स के बोझ को कम करने के लिए मानक कटौतियों पर निर्भर रहते हैं. नई कर व्यवस्था पुरानी व्यवस्था के साथ ही मौजूद रहेगी और टैक्सपेयर अपनी इनकम, निवेश की प्रकृति और सीमा और फाइनेंशियल लक्ष्यों के आधार पर इनमें से किसी एक को चुन सकते हैं.
2023 में, कौन सी टैक्स व्यवस्था आपको ज़्यादा बचत करने में मदद कर सकती है? अगर आप इसका जवाब ढूंढ रहे हैं, तो आपको पुरानी और नई कर व्यवस्थाओं में उपलब्ध राहतों के बारे में जानना होगा. नई टैक्सेशन सिस्टम के एक्सक्लूजन और फ़ायदों के बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें और सही जानकारी चुनें.
नई कर व्यवस्था में कौन-कौन से कटौती की अनुमति है?
आइए हम नई कर व्यवस्था में मिलने वाले मानक कटौती/छूट पर नज़र डालते हैं:
आपकी नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) /एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) अकाउंट में एम्प्लॉयर का योगदान: इस तरह के सभी पेंशन खातों के लिए प्रति वर्ष अधिकतम 7.5 लाख रुपये के योगदान पर छूट लागू होती है.
एनपीएस से निकाली गई राशि: आप बिना टैक्स चुकाए मेच्योरिटी पर अपने एनपीएस अकाउंट बैलेंस का 60% तक निकाल सकते हैं. आपके स्वयं के योगदान पर 25% तक की पार्शियल विड्राल भी टैक्स -फ्री होती है.
ईपीएफ से मिलने वाला ब्याज़: अगर आपके ईपीएफ से एक साल में मिलने वाला ब्याज़ 9.5% से अधिक नहीं मिलता है, तो उस पर टैक्स नहीं लगेगा.
ग्रेच्युटी: अगर आपको अपने एम्प्लॉयर से ग्रेच्युटी मिलती है, तो आप एक निश्चित सीमा तक इस पर छूट का फायदा उठा सकते हैं. किसी कर्मचारी की मृत्यु होने पर दी जाने वाली ग्रेच्युटी पर पूरी छूट दी जाती है.
पोस्ट ऑफ़िस सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज: आप अपने पोस्ट ऑफ़िस के सेविंग्स अकाउंट के ब्याज़ के एक निश्चित प्रतिशत पर राहत का क्लेम कर सकते हैं.
लाइफ इंश्योरेंस के मैच्योरिटी बेनिफ़िट: हालांकि लाइफ़ इंश्योरेंस के प्रीमियम में कटौती नहीं की जा सकती है, लेकिन मेच्योरिटी पर मिलने वाली राशि पर सेक्शन 10 (10D) के तहत टैक्स छूट दी जाती है.
लीव एनकैशमेंट: जब आप रिटायर हो जाते हैं, तो आप उन लीव को कैश कर सकते हैं जिनके आप हकदार थे, लेकिन अपने कामकाजी जीवन के दौरान नहीं ली थी. इस इनकम पर नॉन-गवर्नमेंट एम्प्लॉई के लिए ₹3 लाख की सीमा तक टैक्स नहीं लगता है.
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) भुगतान: अगर आप अपनी इच्छा से रिटायर होते हैं, तो आपके एम्प्लॉयर से मिलने वाले ₹5 लाख तक के फ़ायदे पर टैक्स नहीं लगेगा.
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और सुकन्या समृद्धि अकाउंट से कमाई: आपके पीपीएफ अकाउंट और सुकन्या समृद्धि योजना स्कीम से मिलने वाले ब्याज़ और मेच्योरिटी राशि पर टैक्स छूट होती है.
ऑफिशियल ड्यूटी के लिए अलाउंस: अनुमत कटौती में शामिल हैं:
a) विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों के लिए ट्रासंपोर्ट अलाउंस
b) ऑफिशियल उद्देश्यों के लिए ट्रांसपोर्टेशन लागत को कवर करने का अलाउंस
c) ऑफ़िस टूर या ट्रांसफ़र पर यात्रा के खर्चों के लिए कंपनसेशन
d) “साधारण रेगुलर शुल्क” के लिए डेली अलाउंस या आपके नियमित कार्यस्थल से दूर किसी स्थान पर ऑफ़िस की ड्यूटी के ख़र्चे
नई टैक्स व्यवस्था के क्या फ़ायदे हैं?
सरकार ने भारतीय टैक्सपेयर के टैक्स के बोझ को कम करने के लिए नई कर व्यवस्था शुरू की. इस नई प्रणाली ने टैक्स कानूनों को सरल बना दिया है, जिससे कटौती प्रतिशत की जटिल कॅल्क्युलेशन्स को हटा दिया गया है.
अक्सर भारी टैक्सेशन से बचने के लिए टैक्सपेयर्स को अपनी इनकम को टैक्स बचाने वाले इंस्ट्रूमेंट में लॉक करना पड़ता है. अक्सर, इस तरह के निवेश उस समय होते हैं जब वित्तीय वर्ष समाप्त होने वाला होता है. लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए मोनेटरी बेनिफिट या वेल्थ क्रिएशन के बारे में ज़्यादा सोचा नहीं जाता है.
इस प्रकार, आपके फाइनेंस ब्लॉक रहते हैं और फिर भी आपकी आकांक्षाओं के लिए धन की कमी हो जाती है.
नई रियायती व्यवस्था आपको ऐसे इंस्ट्रूमेंट के बिना टैक्स बचाने में मदद करती है.
पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था में से कैसे चुनें?
वित्त वर्ष 2021-22 से होने वाली इनकम पर इनकम टैक्स की कैलकुलेशन के लिए, आप दोनों में से किसी एक कर व्यवस्था का चयन कर सकते हैं. लेकिन सही टैक्स प्लानिंग के लिए, आपको पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था का विश्लेषण करना होगा और तय करना होगा कि कौन सी टैक्स व्यवस्था आपकी आर्थिक स्थिति के लिए बेहतर काम करती है.
निम्नलिखित पैरामीटर पर विचार करें:
फ़िलहाल आप जो छूटें ले रहे हैं: अगर आपको सैलरी मिलती हैं, तो आपकी इनकम में ये शामिल हो सकते हैं:
हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) अगर आप किराए के आवास में रहते हैं
फुड कूपन्स
फ़ोन के बिलों के लिए कंपनसेशन
लीव अलाउंस (एलटीए)
नई व्यवस्था के तहत आप इन पर छूट खो देंगे.
जिस कटौती का आप पहले से क्लेम कर रहे हैं: सैलरीड व्यक्ति अपने आप ₹50,000 मानक कटौती और ईपीएफ योगदान से राहत पा सकता है. नए टैक्सेशन नियमों में इन्हें शामिल नहीं किया गया है.
इसके अलावा, आप इसके लिए कटौती का क्लेम नहीं कर सकते:
खुद के कब्जे वाली प्रॉपर्टी के लिए होम लोन की ईएमआई
80C निवेश — जीवन बीमा प्रीमियम, यूलिप प्रीमियम, एनपीएस निवेश, ईएलएसएस निवेश, वगैरह.
80D निवेश — हेल्थ बीमा प्रीमियम, हेल्थ इंश्योरेंस राइडर#, वगैरह.
आपको इस तरह की छूट और कटौती की कुल राशि का पता लगाने की जरूरत है जिसका आप फायदा उठाते हैं. इसे अपनी इनकम में से घटाएं और पुरानी कर व्यवस्था के तहत देय टैक्स की कैलकुलेशन करें.
इसके बाद, इस तरह के बेनिफिट्स का क्लेम किए बिना, कैलकुलेशन करें कि आपकी कर योग्य इनकम कितनी होगी. नए टैक्स स्लैब के अनुसार देय टैक्स का पता लगाएं.
अपना चयन करने के लिए दो राशियों की तुलना करें. साथ ही, आप इनकम टैक्स विभाग के टैक्स तुलना टूल का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है.
हालाँकि, आपके निवेश कभी भी टैक्स से होने वाली बचत पर आधारित नहीं होने चाहिए. किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना की स्थिति में आपको अपने परिवार की वित्तीय सुरक्षा के बारे में सोचना चाहिए. साथ ही, आपको लाइफ़ की माइलस्टोन इवेंट्स के लिए पर्याप्त फ़ंड बनाने होंगे, जैसे:
बच्चों के कॉलेज में दाखिले
शादियाँ
रिटायरमेंट
इसलिए, आपको ऐसे निवेश प्लान चुनने चाहिए, जिनसे आप जीवन के ऐसे लक्ष्यों के लिए धन इकट्ठा कर सकें.
क्या मुझे नई कर व्यवस्था के तहत जीवन बीमा खरीदना चाहिए?
हाँ, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी ज़रूरी है, भले ही आप कोई भी कर* व्यवस्था चुनें. ऐसा इसलिए है क्योंकि लाइफ इंश्योरेंस के बेनिफिट अलग-अलग स्थितियों और इमरजेंसी स्थितियों में आपके परिवार की सुरक्षा करते हैं. चाहे डेथ बेनिफिट हों या आपकी जीवन बीमा पॉलिसी के मेच्योरिटी बेनिफिट, आपके वित्तीय लक्ष्य और आपके परिवार की भविष्य की वित्तीय सुरक्षा का ख्याल आपकी जीवन बीमा पॉलिसी द्वारा आसानी से पूरा किया जा सकता है. हालाँकि, यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि आपके द्वारा चुना गया कवरेज उनकी सभी ज़रूरतों के लिए पर्याप्त हो.
हालांकि, पुरानी कर व्यवस्था के तहत, जीवन बीमा प्रीमियम पर टैक्स* कटौती का क्लेम करना संभव है. चूंकि पुरानी कर व्यवस्था से निवेश पर सेक्शन 80C कटौती की अनुमति है, इसलिए आप हर साल ₹1.5 लाख तक की टैक्स कटौती का क्लेम भी कर सकते हैं. यह तब किया जा सकता है जब आप हर साल अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर रहे हों. हालांकि जीवन बीमा के प्रीमियम पर टैक्स में यह कटौती उन कुछ कारणों में से एक है, जिनके कारण लोग जीवन बीमा खरीदते हैं, यह जीवन बीमा कवरेज पाने का प्राथमिक या एकमात्र कारण नहीं होना चाहिए.
अगर आप नई कर व्यवस्था चुनते हैं, तो यह टैक्स बेनिफिट आपके जीवन बीमा प्रीमियम पर लागू नहीं होगा.
पुरानी टैक्स व्यवस्था उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिनके पास पहले से ही जीवन बीमा पॉलिसी है और जो पिछले कुछ वर्षों से प्रीमियम पर टैक्स* कटौती का क्लेम कर रहे हैं. ऐसे टैक्सपेयर के लिए, टैक्स में ये कटौती उनकी जीवन बीमा पॉलिसी पर बड़ी बचत में तब्दील हो जाती है.
हालांकि आपका लक्ष्य पर्याप्त जीवन बीमा कवरेज लेना चाहिए और अपनी पॉलिसी पर टैक्स बचाना चाहिए, लेकिन सुनिश्चित करें कि आप अपनी सुविधा के अनुसार ही टैक्स* व्यवस्था चुनें.
टाटा एआईए कई सेविंग्स सॉलूशन ऑफ़र करता है जो इस उद्देश्य को पूरा करते हैं. प्लान और उनकी ख़ास विशेषताओं में शामिल हैं:
टाटा AIA लाइफ गारंटीड3 रिटर्न इंश्योरेंस प्लान - इंडिविजुअल, नॉन-लिंक्ड, नॉन-पार्टिसिपेटिंग, लाइफ इंश्योरेंस सेविंग्स प्लान (UIN:110N152V11)
तीन प्लान का विकल्प — एंडोमेंट, होल लाइफ इनकम, और रेगुलर इनकम
सुनिश्चित भुगतान, आपके पैसे सुरक्षित रखना
आपके मुनाफे को बढ़ाने के लिए गारंटीड3 ऐड-ऑन
टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस फ़ॉर्च्यून गारंटी7 प्लस - एक नॉन-लिंक्ड, नॉन-पार्टिसिपेटिंग, इंडिविजुअल इंश्योरेंस सेविंग्स प्लान (UIN: 110N158V11)
इनकम प्लान्स का विकल्प
टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस गारंटीड4 मंथली इनकम प्लान - एक नॉन-लिंक्ड, नॉन-पार्टिसिपेटिंग इंडिविजुअल लाइफ इंश्योरेंस सेविंग प्लान (UIN: 110N147V02)
पॉलिसी अवधि के दोगुने होने पर गारंटीड़4 मंथली इनकम
अपने कॉर्पस को बेहतर बनाने के लिए प्रीमियम बूस्ट का विकल्प
टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस डायमंड सेविंग्स प्लान - नॉन-लिंक्ड, पार्टिसिपेटिंग इंडिविजुअल लाइफ इंश्योरेंस बचत प्लान (UIN: 110N133V02)
पॉलिसी अवधि के दौरान गारंटीड5 आय
बोनस के साथ अतिरिक्त बेनिफिट मिलने की संभावना2
टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस गोल्ड इनकम प्लान - नॉन-लिंक्ड, नॉन-पार्टिसिपेटिंग, इंडिविजुअल जीवन बीमा बचत प्लान (UIN: 110N131V02)
बीमा राशि के 12% से शुरू होने वाली गारंटीड़6 इनकम
आय अवधि के दौरान अधिक प्रीमियम के साथ आय में वृद्धि
निष्कर्ष
आपकी टैक्स व्यवस्था के चयन से हर सिस्टम के तहत होने वाली संभावित बचतों को ध्यान में रखा जाना चाहिए. लेकिन आपके जीवन बीमा का चयन टैक्स से होने वाली बचत पर निर्भर नहीं होना चाहिए. बचत से जुड़ा कोई इंश्योरेंस प्रोडक्ट चुनें, अप्रत्याशित घटनाओं से अपने परिवार के फाइनेंस की सुरक्षा करें और अपने जीवन के लक्ष्यों को पूरा करें.
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L&C/Advt/2023/Sep/3268