29-08-2022 |
ऐसे समय में जहां आर्थिक कमजोरियां और मार्केट में उतार-चढ़ाव नई समस्याएं पैदा कर रहे हैं, सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स में पैसा निवेश करने से आपको अपने फाइनेंस को ज़्यादा प्रभावी ढंग से संभालने में मदद मिल सकती है. सेविंग्स में न केवल महत्वपूर्ण मोनेटरी क्षमता होती है, बल्कि यह उस अवधि के लिए ठोस आधार की गारंटी भी देती है जब आपकी इनकम का रेगुलर सोर्स बंद हो जाता है. उस आधार पर, एक स्थिर कॉर्पस का निर्माण करना जरुरी है जो आपकी वर्तमान और भविष्य की सभी स्थितियों को कवर कर सकता है.
फिर भी, आजकल कई तरह के सेविंग्स प्लान्स हैं, ऐसे प्लान का चयन करना जो आपकी व्यक्तिगत इच्छाओं और अपेक्षाओं से सबसे अच्छी तरह मेल खाता हो, एक मुश्किल काम हो गया है. आप ऐसे प्लान कैसे चुनें जो आपके लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करता हो और साथ ही आपकी तत्काल वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करता हो? कौन सा प्लान आपके निवेश की अवधि के लिए उपयुक्त हो सकता है और साथ ही आपको टर्म बेस्ड लाइबिलिटी भी मिल सकती है? क्या कोई विकल्प है जिससे आप अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर निवेश कर सकते हैं और साथ ही एक उचित रिवॉर्ड प्रोफ़ाइल बनाए रख सकते हैं?
ऐसी मुश्किलों को दूर करने के लिए भारत सरकार ने पीएफ (प्रोविडेंट फंड) का विचार बनाया था. भारत में पीएफ तीन तरह के होते हैं: जीपीएफ (जनरल प्रोविडेंट फंड), पीपीएफ (पब्लिक प्रोविडेंट फंड), और ईपीएफ (एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड).
ऊपर दिए गए प्रोविडेंट फंड में से प्रत्येक व्यक्ति के पास इनकम का नियमित स्रोत होने पर सेविंग करने को प्रोत्साहित करता है. यह पर्याप्त कैश जमा करने में मदद करता है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति की इनकम कम होने पर खर्चों का भुगतान करने के लिए किया जा सकता है. फिर भी, जीपीएफ और पीपीएफ के साथ-साथ ईपीएफ के बीच कई मूल अंतर हैं, जिन पर विचार किया जाना चाहिए.
इस आर्टिकल में, हम आपको जनरल प्रोविडेंट फ़ंड और पब्लिक प्रोविडेंट फ़ंड का गहराई और विस्तार से तुलनात्मक विश्लेषण देंगे. अधिक जानने के लिए पढ़ना जारी रखें.
जीपीएफ: यह वास्तव में क्या है?
जीपीएफ या जनरल प्रोविडेंट फंड सरकारी एम्प्लॉई के लिए पैसे बचाने का शानदार तरीका है. एम्प्लॉई सरकारी एजेंसी से निकलने तक नियमित रूप से अपनी सैलरी का एक प्रतिशत डोनेट कर सकते हैं. रिटायरमेंट के बाद, रिक्रूटर जनरल प्रोविडेंट फंड खाते में जमा हुई पूरी राशि को एम्प्लॉई को ट्रांसफर कर देता है.
जीपीएफ (जनरल प्रोविडेंट फंड ) की विशेषताएं और लाभ
जीपीएफ की विशेषताएं और फायदे नीचे दिए गए हैं:
- 1961 इनकम टैक्स* अधिनियम (धारा 80C के तहत) के तहत, जीपीएफ निवेशक अर्जित ब्याज़, रिफंड और उपहारों पर मिलने वाले फायदों पर टैक्स* *बेनिफिट पाने के हकदार हैं.
- अगर संबंधित व्यक्ति का निधन हो जाता है, तो जीपीएफ मानदंडों के अनुसार बेनिफिशयरी आगे के भुगतान का हकदार होगा. यह ख़ास फ़ायदा सिर्फ़ उन इम्प्लॉयीज़ को मिलेगा, जिन्होंने मृत्यु से पहले कम से कम 5 साल काम किया हो.
- जनरल प्रोविडेंट फ़ंड अकाउंट से फ़ाइनल पेमेंट लेते समय किसी व्यक्ति को किसी भी अतिरिक्त प्रक्रिया से गुज़रने की ज़रूरत नहीं होती है.
पीपीएफ: यह वास्तव में क्या है?
भारत सरकार का पीपीएफ या पब्लिक प्रोविडेंट फंड बचत के लिए एक रिटायरमेंट प्लान है, जिसका उद्देश्य हर व्यक्ति को रिटायरमेंट के बाद सुरक्षित और कुशल जीवन प्रदान करना है. हर वित्त वर्ष में कम से कम 500 रुपये जमा करने की जरूरत होती है, जिसमें 1.5 लाख रुपये तक जमा होते हैं. आप रिटायरमेंट के लिए बचत ऑफ़र के अलावा, अकाउंट में निवेश की जाने वाली राशि पर इनकम टैक्स* के फायदों का क्लेम कर सकते हैं.
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) के लाभ और विशेषताएं
पब्लिक प्रोविडेंट फंड के लाभ और विशेषताएं नीचे दी गई हैं:
- यह निवेश करने और सीधे निवेश से ब्याज़ कमाने के लिए एक जोखिम मुक्त प्लान है.
- किसी व्यक्ति के निवेश में ब्याज़ की दर कम्पाउंड होती है.
- 1961 के इनकम टैक्स* एक्ट (सेक्शन 80C) में टैक्स* कटौती की अनुमति है.
- आपके पब्लिक प्रोविडेंट फंड बैलेंस पर लोन और एडवांस.
- इसमें कम से कम ₹500 का निवेश है.
- सातवें वित्तीय वर्ष से पार्शियल विड्राल ऑफ़र की जाती है.
- कोई भी भारतीय नागरिक, जिसके पास उचित आवासीय पता या देश में निवास है, वह व्यक्तिगत जीपीएफ अकाउंट के अलावा, पीपीएफ अकाउंट बनाने के लिए योग्य है.
- पीपीएफ अकाउंट किसी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, पोस्ट ऑफ़िस या किसी अन्य सरकार द्वारा अनुमोदित वित्तीय संस्थान में बनाया जा सकता है.
जीपीएफ वर्सिस पीपीएफ: अंतर
इस समय, यह समझना ज़रूरी है कि पीपीएफ और जीपीएफ एक दूसरे से कैसे भिन्न होते हैं. नीचे दी गई टेबल तुलना के मुख्य पहलुओं पर प्रकाश डालती है. जीपीएफ बनाम पीपीएफ, हम आगे समझते हैं!
पैरामीटर |
जीपीएफ |
पीपीएफ |
कौन निवेश करने के योग्य है? |
यह प्रोग्राम सिर्फ़ उन सरकारी एम्प्लाइज के लिए उपलब्ध है, जिन्होंने 1 जनवरी 2004 से पहले अपने करियर की शुरुआत की थी. |
यह प्लान किसी भी भारतीय नागरिक के लिए खुली है, जिसके पास निवास प्रमाण पत्र हैं. |
कितना निवेश किया जा सकता है? |
एम्प्लॉई का योगदान - संपूर्ण परिलब्धियों और सैलरी का 6 प्रतिशत. सरकारी योगदान - 6 प्रतिशत. |
न्यूनतम राशि - ₹500 अधिकतम राशि - ₹1.5 लाख हर साल अधिकतम 12 किस्तों को डिपॉजिट किया जा सकता है. |
मौजूदा ब्याज दर क्या है? |
7.1% |
7.1% |
लोन का कोई विकल्प उपलब्ध है? |
जनरल प्रोविडेंट फ़ंड के एडवांस एम्प्लाइज को उनके करियर के दौरान उपलब्ध होते हैं. इस मामले में कोई ऊपरी या निचली सीमा नहीं है. |
तीसरे और छठे वित्तीय वर्ष के बीच लोन मिल सकता है, जो पूरे डिपॉजिट का अधिकतम 25 प्रतिशत तक होता है. |
मैच्योरिटी अवधि क्या है? |
यह फंड सरकारी एम्प्लॉई के रिटायरमेंट या सुपरएन्युएशन के समय मेच्योर होता है. |
फंड 15 वर्षों में मैच्योरिटी स्टेज तक पहुँच जाएगा. हालाँकि, इसे और पाँच वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है. |
क्या यह टैक्स* प्रभावी है? |
जीपीएफ से विड्राल पर टैक्स* छूट होती है, लेकिन शुरुआती योग्ताएं पर नहीं है. |
1961 के इनकम टैक्स* एक्ट की धारा 80C में अर्जित ब्याज़, योगदान और अंतिम विड्राल पर छूट दी गई है. |
निष्कर्ष
अगर आप हर बचत योजना की तुलना करना चाहते हैं और यह तय करना चाहते हैं कि आपको किस स्कीम में पैसा देना है, तो ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म बहुत मददगार हो सकते हैं. वे न केवल अपनी टाइम-टेस्टेड रणनीति में आपकी मदद करते हैं, बल्कि यह सुनिश्चित करते हैं कि आप अच्छी तरह से सूचित और अच्छी तरह से रिसर्च किया गया निष्कर्ष निकालने से पहले अपने सभी विकल्पों को ठीक से समझ लें.
जनरल प्रोविडेंट फ़ंड और पब्लिक प्रोविडेंट फ़ंड जैसी स्कीम लोगों को बचत करने की आदत डालने में मदद करती हैं. इसके अलावा, ये रणनीतियाँ यह सुनिश्चित करती हैं कि महंगे बैंक लोन की आवश्यकता के बिना उनकी तत्काल वित्तीय मांगों को पूरा किया जाए. नतीजतन, इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि सेविंग प्रोग्राम सबसे ज़्यादा मांग वाले और भारी निवेश वाली स्कीमों में से हैं, जिनका अब भारत सरकार मैनेज कर रही है.
आपका जीवन एक मूल्यवान संपत्ति है. आप अपने काम के वर्षों के दौरान संपत्ति कमाने के लिए इस संपत्ति का इस्तेमाल करते हैं. अगर आप अनुपस्थित हैं, तब भी आप अपने परिवार का भविष्य सुनिश्चित करना चाहते हैं. हालाँकि, बीमा-आधारित पेंशन प्लान का इस्तेमाल करके आप अपने प्रियजनों की मदद कर सकते हैं, भले ही आप मौजूद न हों.
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